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महिला समूहों का कमाल अब खुद तैयार कर रहीं नर्सरी


 बिलासपुर। दो महिला स्वसहायता समूह के पास वर्तमान में उनके पास 50 हजार पौधे हैं। इन्हें बेचकर वह आर्थिक रूप से मजबूत होंगी। पौधे विभाग के अलावा आम जनता के लिए उपलब्ध है। एक समूह का नाम इंद्राणी महिला स्वसहायता समूह और दूसरा ज्योति महिला स्वसहायता समूह है। दोनों समूह आपस में मिल-जुलकर कार्य करते हैं। इस दौरान जो भी फायदा होता है आपस में बांट लेती है। महिलाओं को जोड़कर समूह बनाने की पहल वन विभाग ने की थी। 2002-03 से लेकर लगातार नर्सरी में कार्य कर रही हैं। दोनों समूह का रजिस्ट्रेशन 2013 में हुआ है। इनको नर्सरी के अंदर एक-एक एकड़ जमीन विभाग द्वारा पौधा तैयारी के लिए दी गई है। यहां इनके द्वारा पौधा तैयार किया गया है।   अब चूंकि नर्सरी में विभाग इनके माध्यम से पौधा तैयार नहीं करा रहा है तो वे नर्सरी के पीछे गोठान पर पौधे तैयार करने का काम कर रही है। विगत वर्ष गोठान में इनके द्वारा 50 हजार पौधे व केचुआ खाद तैयार किए गए हैं। तैयार पौधे की इस बार बिक्री की जा रही है। वन विभाग को यह जानकारी है।

इसलिए पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान जब पौधे की आवश्यकता होगी तो वह इन्हीं से पौधे खरीदेंगे। विभाग के अलावा आम नागरिक भी उनसे पौधा खरीद सकते हैं। सभी पौधे जीवित हैं और बेहतर स्थिति में हैं। पौधारोपण के बाद बेहतर देखभाल करते हैं तो इन्हें पेड़ बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

20 रुपये कीमत है एक पौधे का

इंद्राणी महिला स्वसहायता समूह की सचिव पुष्पलता बताती हैं कि एक पौधे की कीमत 20 रुपये निर्धारित की गई है। हालांकि इस कीमत से बेचने पर उन्हें खास लाभ नहीं हो रहा। लेकिन, जितना लाभ मिलेगा, वह उनकी मेहनत के हिसाब से उचित है। अधिक कीमत रखते हैं तो उन्हें बेचने में दिक्कत होगी।

इन प्रजातियों के पौधे

महिला समूह की सदस्यों ने गोठान में मुख्य रूप से कटहल, जामुन, आम व नीम के अलावा कुछ छायादार पौधे तैयार किए हैं। इन प्रजातियों को इसलिए चिन्हित किया गया है क्योंकि वर्तमान में इन्हीं प्रजातियों की डिमांड है। यदि इच्छा के अनुरूप अच्छे पौधे उपलब्ध होंगे तो निश्चित तौर इनकी खरीदी करने के लिए पर्यावरण प्रेमी आएंगे। 

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