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गरीबों का राशन लापरवाही की भेंट चढ़ा


 रायपुर। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, इस धान के कटोरे में अब धान की कद्र नहीं है। प्रदेश पांच जिलों राजनांदगांव, दुर्ग, धमतरी, बलौदा बाजार और गरियाबंद में 682 करोड़ रुपये की 22 लाख क्विंटल (226825.71 मैट्रिक टन) धान अभी संग्रहण केंद्रों में सड़ रहा है। यह धान खरीफ वर्ष 2023-24 में 24 लाख 72 हजार 441 किसानों से खरीदा गया था। इसमें से धान की अधिकांश मात्रा खराब हो चुकी है, देर से संज्ञान लेने के कारण अब इस धान की मिलिंग करने से मिलर्स भी इनकार कर रहे हैं।

मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही से धान खराब हो गई है। जिसका मिलिंग संभव नहीं है। ऐसे में अब सरकार को तकरीबन 682 करोड़ रुपये का नुकसान होना तय है। बतादें कि धान खरीदी के बाद जनवरी और मार्च में हुई बारिश में ही धान भीग चुकी थी। जिससे काफी मात्रा खराब पहले ही हो गई थी। इस धान के खराब होने की वजह यह है कि आखिर इस धान क्या करना है इसकी प्लानिंग मार्केफेड के अधिकारियों के पास अभी नहीं है।

हुई थी बंपर खरीदी

इस बार धान की खरीदी की कीमत 3100 रुपये सरकार ने तय कर रखी थी। जिसके बाद एक 44 लाख 92 हजार124 मीट्रिक टन धान 24 लाख 72 हजार 441 किसानों से खरीदा गया था। जिसमें से 1 करोड़ 42 लाख 18 हजार 042 मीट्रिक टन धान मिलर्स को जारी की गई। मिलिंग करने के लिए जिन मिलर्स को मिलिंग आर्डर जारी किया गया था, उन सभी ने धान का उठाव कर लिया है।
अभी चल रहा है पत्राचार

अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए भारत सरकार से पत्राचार कर मार्गदर्शन मांगा गया है, कि इस धान को एफसीआइ (फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) लेगी या फिर नहीं। अगर नहीं, तो राज्य स्तर पर अगले माह निर्णय लेकर इसकी नीलामी की जाएगी।
1300 गोदाम सभी फुल

वर्तमान में शासन के पास प्रदेश में 1300 गोदाम हैं, जो कि फुल हो गए हैं। 2019-20 में 590 करोड़ रुपये की धान खराब हो गई थी, जिसे शराब कारोबारियों को बेचा गया था। हालांकि बीते दो वर्षों से प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई है। अब इस साल भी इस खराब धान की नीलामी होना तय बताया जा रहा है। बतादें कि 8891 मिलर्स को 2 करोड़ 49 लाख 41 हजार 316 मीट्रिक टन धान मिलिंग के लिए दिया गया है।

छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एशोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने कहा, अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को बड़ा नुकसान होना तय है। जो धान संग्रहण केंद्रों में पड़ी हुई है उसकी मिलिंग भी करना मुश्किल है। यदि इस धान की निलामी भी होती है तो कोई भी व्यापारी 31 सौ रुपए में धान नहीं खरीदेगा। अधिकतम दो हजार 22 सौ की बोली तक नीलामी हो जाए तो बहुत है। नीलामी में भी सरकार को नुकसान उठाना पड़ेगा।

मार्केफेड के एमडी रमेश शर्मा ने कहा, कई संग्रहण केंद्राें में अतिरिक्त धान रखी है। इसके लिए केंद्र सरकार से पत्राचार किया गया है। यदि एफसीआई इस धान को नहीं लेगी तो नीलामी की जाएगी।

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