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निर्दोश रत्नू यादव को 11 साल तक जेल में रहना पड़ा, जानें पूरा मामला

 रायपुर। 11 साल पहले जिले के खरोरा क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर अपनी सौतेली मां की हत्या के केस में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदी रत्नू य...


 रायपुर। 11 साल पहले जिले के खरोरा क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर अपनी सौतेली मां की हत्या के केस में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदी रत्नू यादव को सुप्रीम कोर्ट ने दोष मुक्त करार देते हुए तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। रायपुर जेल में बंद सजायाफ्ता रत्नू यादव को जेल प्रशासन ने यह आदेश मिलते ही पिछले दिनों रिहा कर दिया।

हत्या के केस में निर्दोष होकर भी रत्नू को जेल में 11 साल गुजारना पड़ा। हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के उम्र कैद के फैसले को रत्नू यादव ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अभियोजन पक्ष को अपीलकर्ता के अपराध को साबित करने में विफल पाकर उम्र कैद की सजा को रद कर बंदी की रिहाई के आदेश दिए। जिला न्यायालय परिसर में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की अब चर्चा हो रही है।

जानिए क्‍या है पूरा मामला


रत्नू यादव पर यह आरोप लगा था कि उसने अपनी सौतेली मां श्रीमती हेमवती बाई की जमीन के विवाद में दो मार्च 2013 को हत्या कर दी थी। रत्नु यादव को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। तीन मार्च 2013 से रत्नू रायपुर जेल में बंद था।

पुलिस की ओर से जिला कोर्ट में पेश किए आरोप पत्र में बताया था कि आरोपित रत्नू अपनी सौतेली मां हेमवती बाई के सिर का बाल पकड़कर घसीटते हुए गांव के तालाब के पास ले गया था। उसके बाद हेमवती के सिर को तालाब के पानी के अंदर डाल दिया,इससे उसकी मौत दम घुटने से हो गई थी।पीएम रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख डाक्टर ने किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता बंदी रत्नू यादव की अपील की सुनवाई करते हुए पाया कि अभियोजन पक्ष ने दस गवाहों से पूछताछ की पर कोई प्रत्यक्ष प्रमाण पेश नहीं कर पाया। ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय ने गवाही के एक हिस्से पर भरोसा कर उम्र कैद की सजा का बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट के जज अभय एस. ओका, राजेश बिंदल ने अभियोजन पक्ष के उचित संदेह से परे अपीलकर्ता रत्नू के हत्या के अपराध को साबित करने में विफल पाते हुए उसे बाइज्जत रिहा करने का आदेश दिया।

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