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आठ करोड़ की सड़क बही,ब्लाक मुख्यालय की दूरी 50 किलोमीटर बढ़ी

  अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड के तराई क्षेत्र में बसे एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के हजारों की आबादी को तहसील व ब्लाक मुख्...

 

अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड के तराई क्षेत्र में बसे एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के हजारों की आबादी को तहसील व ब्लाक मुख्यालय नर्मदापुर से जोड़ने वाला पेंट-चलता मार्ग का बड़ा हिस्सा कमाई का माध्यम बन चुका है। पिछले वर्षों में वन विभाग द्वारा बड़ी राशि खर्च करने के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार की जा रही आठ करोड़ के सड़क के घटिया निर्माण की पोल पिछले दिनों हुई वर्षा से खुल गई है। निर्माणाधीन सड़क का बड़ा हिस्सा पानी में बह गया है इस कारण आवागमन की समस्या फिर से उभरकर सामने आ गई है।इंटरनेट मीडिया में भी इस सड़क पर खर्च की जा रही राशि को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कठिन भौगोलिक क्षेत्र की सड़क के लिए ड्राइंग डिजाइन को सामान्य बनाकर गिट्टी बिछा डामर का लेप चढ़ा देने से सड़क बह गई। पेंट घाट की खतरनाक सड़क से चारपहिया वाहनों का आवागमन नहीं होने से लोगों को ब्लाक मुख्यालय आने के लिए सीतापुर-काराबेल होते लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस वर्ष भी बारिश के बाद सड़क खतरनाक हो गई है। पहाड़ का पानी बहने से सड़क पूरी तरह से कट चुकी है। गिट्टी, बोल्डर बाहर निकल आए हैं। पूरी तरह खतरनाक सड़क पर हादसों का भय बना रहता है। मैनपाट ब्लाक मुख्यालय नर्मदापुर से चलता मार्ग में मैनपाट के तराई क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेंट, पीड़िया, चैनपुर, हर्रामार, जामकानी, कोटछाल, डांगगुड़ा, खड़गांव, महारानीपुर, चिड़ापारा सहित लगभग एक दर्जन ग्राम पंचायतों की हजारों की आबादी निवास करती है। तराई क्षेत्र में स्थित पंचायतों के प्रतिनिधियों और ग्रामीणों को ब्लाक मुख्यालय आने-जाने के लिए मार्ग भी है, लेकिन पेंट घाट में पांच किमी का खतरनाक हिस्सा बारहमासी आवागमन सुविधा में बाधक बना हुआ है। नर्मदापुर के आश्रित ग्राम कंडराजा तक पक्की सड़क बनी है। वहां से चलता मार्ग में कंडराजा से पेंट, पीड़िया तक पांच किमी का रास्ता खतरनाक हो गया है। पेंट पहाड़ी पर स्थित गांव है, जबकि पीड़िया बस्ती नीचे है। कई स्थानों पर बारिश के दिनों में पहाड़ का पानी नाले के शक्ल में पेंट घाट में सड़क से होकर ही बहता है, जिस कारण सड़क में जगह-जगह कटाव हो गए हैं। बड़े-बड़े गढ्ढों के साथ गिट्टी, बोल्डर उखड़ गए हैं। जान जोखिम में डालकर दोपहिया वाहन चालक व सवार तो किसी तरह इसी मार्ग से आनाजाना कर रहे हैं, लेकिन चारपहिया वाहनों का आवागमन इस मार्ग से नहीं हो पाता। 

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