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विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर प्रदेशभर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

   स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की दिशा में माहवारी को लेकर भ्रांतियों को तोड़ने का प्रयास 28 मई को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में माहवारी स...

  


स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की दिशा में माहवारी को लेकर भ्रांतियों को तोड़ने का प्रयास

28 मई को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में माहवारी स्वच्छता पर विशेष आयोजन


रायपुर । विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर एक अतिआवश्यक सामाजिक विषय पर सकारात्मक पहल की गई। माहवारी स्वच्छता से संबंधित इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों और सामाजिक वर्जनाओं को चुनौती दी गई, बल्कि माहवारी के दौरान स्वच्छता, आत्मसम्मान और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई गई।

हर बुधवार को आयोजित होने वाले नियमित हेल्थ मेलों की श्रृंखला में इस बार माहवारी स्वच्छता दिवस (menstrual hygiene day) को विशेष रूप से मनाया गया। इस अवसर पर प्रदेश के समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में “ब्रेकिंग टैबू एंड रेजिंग अवेयरनेस अबाउट द इंपॉर्टेंस ऑफ़ गुड मेंस्ट्रुअल हाइजिन मैनेजमेंट” विषय पर केंद्रित गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

माहवारी पर खुली चर्चा और जागरूकता की पहल

इस विशेष दिवस पर स्वास्थ्य एवं वेलनेस एम्बेस्डर, शिक्षकों, पीयर एजुकेटर्स, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनों तथा जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से माहवारी स्वच्छता पर आधारित जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें रैली, रंगोली प्रतियोगिता, चित्रकला व निबंध प्रतियोगिताएँ प्रमुख रूप से शामिल थी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित इन आयोजनों में किशोरियों, महिलाओं तथा अभिभावकों को माहवारी से जुड़ी जानकारी दी गई। साथ ही, स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय बताते  हुए  निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन और आयरन की गोली भी वितरित की गई।

माहवारी कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि यह एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है, जो नारी के स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की प्रतीक है। इसके बारे में खुलकर बात करना ही मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में पहला कदम है।

प्रदेश में आयोजित इन जागरूकता कार्यक्रमों ने यह संदेश दिया कि जब माहवारी से जुड़ी चुप्पी और झिझक टूटेगी, तब महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य की कल्पना अधूरी नहीं रहेगी। इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि समाज अब इस विषय पर खुलकर चर्चा करने के लिए तैयार हो रहा है - और यह बदलाव, सशक्तिकरण की ओर एक मजबूत कदम है।

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