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दूषित पानी से शिप्रा नदी की मछलियां मरीं, ग्रामीणों को किया अलर्ट

उज्जैन। त्रिवेणी संगम स्थित कान्ह नदी पर तीन माह पहले बनाया गया मिट्टी का पाला सुबह 5.20 बजे टूटकर बह गया। पाला टूटने से नदी में स्टोर दूषित...


उज्जैन। त्रिवेणी संगम स्थित कान्ह नदी पर तीन माह पहले बनाया गया मिट्टी का पाला सुबह 5.20 बजे टूटकर बह गया। पाला टूटने से नदी में स्टोर दूषित और केमिकल युक्त पानी त्रिवेणी पाले पर 14 फीट तक भर गया जिससे साफ पानी में मौजूद मछलियां मरने लगीं। प्रशासन और पीएचई के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों को अलर्ट किया गया और राघोपिपल्या में स्टोर  नदी के पानी का निरीक्षण भी किया।
बारिश सीजन में कान्ह नदी पर बनाया गया मिट्टी का स्टापडेम टूट गया था जिसे मकर संक्रांति महापर्व के पहले जनवरी माह में पीएचई और जल संसाधन विभाग ने पुन: बालू रेत की बोरियां जमाने के बाद मिट्टी डालकर बनाया, लेकिन कान्ह नदी का दूषित और केमिकल युक्त पानी लगातार त्रिवेणी की तरफ आता रहा।
... नहीं तो नर्मदा का पानी हो जाता दूषित: पीएचई उपयंत्री राजीव शुक्ला ने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या पर्व स्नान के लिये त्रिवेणी संगम पर पाइप लाइन के माध्यम से नर्मदा का साफ पानी लाया गया था। पर्व स्नान के दूसरे दिन त्रिवेणी स्टापडेम के गेट खोलकर पानी को गऊघाट स्टापडेम पर स्टोर करना शुरू किया इस कारण त्रिवेणी स्टापडेम के अप स्ट्रीम में अधिक पानी नहीं बचा था। यदि उस दौरान मिट्टी का पाला टूटता तो नर्मदा का साफ पानी भी दूषित हो जाता।
कान्ह डायवर्शन.. योजना की खुली पोल: 

शासन के निर्देश पर जल संसाधन विभाग द्वारा सिंहस्थ महापर्व के पहले शिप्रा नदी में कान्ह के दूषित व केमिकल युक्त पानी को मिलने से रोकने के लिये करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से कान्ह डायवर्शन योजना बनाकर काम पूरा किया था। वर्तमान में कान्ह डायवर्शन की पाइप लाइन से दूषित पानी को पूरी क्षमता से नहीं निकाला जा रहा। इसी कारण त्रिवेणी संगम तक कान्ह का दूषित और केमिकल युक्त पानी भरा है। राघोपिपल्या स्टापडेम के ऊपर से कान्ह का पानी बह रहा है जो अब त्रिवेणी का स्टापडेम टूटने के बाद नदी में स्टोर होगा। वर्तमान में पर्व स्नान के लिये पाइप लाइन से त्रिवेणी संगम तक लाये नर्मदा के साफ पानी को गऊघाट स्टापडेम पर स्टोर किया गया है। इस पानी का उपयोग शहर में पेयजल सप्लाय के लिये हो रहा है। यदि कान्ह का दूषित पानी तेजी से बढ़कर त्रिवेणी स्टापडेम के 16 फीट लेवल को पार करता है तो यह पानी गऊघाट की ओर बढ़ेगा जिससे साफ पानी भी दूषित हो जायेगा। दूसरी स्थिति यह भी है कि गऊघाट पर स्टोर साफ पानी से अगले 15-20 दिनों तक जलप्रदाय किया जा सकता है, इसके बाद पुन: साफ पानी की जरूरत होगी।
कान्ह डायवर्शन का नहीं हो रहा पूरी क्षमता से उपयोग
पीएचई सूत्रों ने बताया कि कान्ह डायवर्शन लाइन में भूखी माता क्षेत्र में मिट्टी आने के कारण पानी ओवर फ्लो होकर शिप्रा नदी में मिल रहा था। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कान्ह डायवर्शन को पूरी क्षमता से उपयोग न करते हुए आधी क्षमता से दूषित पानी बहाने की योजना बनाई। वर्तमान में इस लाइन से नाममात्र का दूषित पानी बहाया जा रहा है और कान्ह का बाकि दूषित पानी राघोपिपल्या होते हुए त्रिवेणी स्टापडेम की तरफ बहाया जा रहा है।

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