Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE
Friday, August 22

Pages

Classic Header

Top Ad

ब्रेकिंग :

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

'मोर गांव मोर पानी' अभियान बना जल संरक्षण का ऐतिहासिक जनांदोलन

   बलरामपुर जिले में जनभागीदारी से लक्ष्य से अधिक सोख्ता गड्ढों का निर्माण, बना गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने वाला अभियान र...

  

बलरामपुर जिले में जनभागीदारी से लक्ष्य से अधिक सोख्ता गड्ढों का निर्माण, बना गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने वाला अभियान

रायपुर । मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की महत्वाकांक्षी पहल “मोर गांव मोर पानी” अभियान ने जल संरक्षण को लेकर राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। बलरामपुर जिले में इस अभियान के अंतर्गत जनसहयोग और प्रशासनिक समर्थन के बल पर 1 लाख 22 हजार 455 सोख्ता गड्ढों का निर्माण कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया गया है। यह उपलब्धि जल संरक्षण के क्षेत्र की दिशा में जिले की ऐतिहासिक सहभागिता और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता को दर्शाती है।

रिकॉर्ड से आगे निकला बलरामपुर

जिला प्रशासन ने प्रत्येक विकासखंड में 20 हजार गड्ढों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो छह विकासखंडों में मिलाकर कुल 1 लाख 20 हजार था। लेकिन आम नागरिकों, स्व-सहायता समूहों, हितग्राहियों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से लक्ष्य से अधिक निर्माण कर बलरामपुर ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान हासिल किया।

जल संरक्षण सप्ताह में जनजागरूकता की मिसाल

30 जून से 7 जुलाई तक आयोजित जल संरक्षण सप्ताह के दौरान ग्राम पंचायत जतरो में सरगुजा सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने श्रमदान कर जल संरक्षण का संदेश दिया। इसी श्रृंखला में ग्राम पुटसुरा में समापन कार्यक्रम हुआ, जहां जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की स्टेट हेड श्रीमती सोनल शर्मा ने आंगनबाड़ी भवन और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी श्री सुरेन्द्र नाग के घर में सोख्ता गड्ढा निर्माण कर प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।

जिला प्रशासन का नेतृत्व और जनसहयोग बना सफलता की कुंजी

जिला कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर के नेतृत्व में अभियान को गाँव-गाँव तक पहुँचाया गया। उन्होंने मैदानी स्तर पर जाकर निगरानी की लोगों को इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया। 

पिछड़े क्षेत्रों से लेकर जनजातीय अंचलों तक व्यापक असर

कुसमी, शंकरगढ़ जैसे वनांचल व विशेष पिछड़ी जनजातियों के क्षेत्रों में भी जागरूकता की लहर देखने को मिली। दीवार लेखन, रैली, जल शपथ, जन चौपाल, पौधरोपण, ग्रामसभा जैसी गतिविधियों से गांव-गांव में सहभागिता सुनिश्चित की गई। मनरेगा के तहत डबरी, चेक डेम, वाटरशेड जैसे संरचनात्मक कार्य भी किए गए।

केवल जल ही नहीं, पर्यावरण और आजीविका भी सुरक्षित

अभियान के अंतर्गत 16 हजार से अधिक पौधों का रोपण, बीज वितरण, किचन गार्डन, बहुफसली खेती, मत्स्य पालन और कृषि गतिविधियों को जोड़ा गया, जिससे ग्रामीणों की आजीविका को मजबूती मिल रही है। यह अभियान जल संरक्षण के साथ-साथ रोजगार के भी नये अवसर बन रहे हैं।

No comments

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का ...

राज्य स्तरीय भू-वैज्ञानिक कार्यक्रम मंडल छत्तीसगढ़ 2025 की र...

छत्तीसगढ़ के धान ने आकर्षित किया उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिकों ...

पूर्ण ग्राम सुराज और स्वावलम्बन की दिशा में नया संकल्प: उपम...

अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ की बदली है दशा और दिशा - अ...

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का प्रति...

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर कैंसर अस्पताल का होग...

रायपुर से तीजा पर्व पर महिलाओं के लिए खास ट्रेन सुविधा, चलेग...

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील पहल से दुर्याेधन राम ...

पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना से नाथूराम साहू बने आत्मनिर...