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शाला त्यागी बच्चों को कराया गया माध्यमिक शाला पतरापाली में पुनः प्रवेश

   गणवेश और पुस्तक देकर बच्चों को बढ़ाया उत्साह रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकार सख्त है और उसी के तहत अब शाला त्यागी ...

  

गणवेश और पुस्तक देकर बच्चों को बढ़ाया उत्साह

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकार सख्त है और उसी के तहत अब शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों के स्कूलों में प्रवेश दिलाकर उनकी शिक्षा सतत जारी रख जा सके। सूरजपुर जिले के विकासखण्ड रामानुजनगर के माध्यमिक शाला पतरापाली में आज दो शाला त्यागी बच्चों का पुनः प्रवेश हुआ। यह पहल विद्यालय के शिक्षकों के निरंतर प्रयास और अभिभावकों को समझाईश का परिणाम है कि शाला त्यागी बच्चे फिर से विद्यालय से जुड़े हैं।

विद्यालय परिवार ने बच्चों के पुनः प्रवेश पर गणवेश और पुस्तक देकर स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इस तरह की पहल से अन्य शाला त्यागी बच्चे भी शिक्षा से पुनः जुड़ेंगे।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु साय ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत राज्य के सभी आश्रम एवं स्कूलों में 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों का शत.प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही शाला त्यागी बच्चों को भी आसपास के विद्यालयों में पुनः प्रवेश दिलाकर उनकी शिक्षा जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसी का परिणाम है कि माध्यमिक शाला पतरापाली के शिक्षक योगेश साहू एवं कृष्ण कुमार यादव बच्चों के पालकों से संपर्क करने हेतु गांव की ओर जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में उन्हें दो बच्चे बकरियां चराते हुए मिले। जब शिक्षकों ने उनसे बातचीत की तो ज्ञात हुआ कि बच्चे पिछले वर्ष से विद्यालय नहीं आ रहे हैं। बातचीत के पश्चात शिक्षकों ने बच्चों के पालक ज्ञान सिंह से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट की। शिक्षक योगेश साहू ने अभिभावक को शिक्षा के महत्व से अवगत कराया और बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाने हेतु प्रेरित किया। पालक ने सकारात्मक पहल करते हुए अगले ही दिन बच्चों को विद्यालय में भेजने का आश्वासन दिया।

शिक्षकों और पालकों के सतत संपर्क और शिक्षा के महत्व से का परिणाम सामने आया जब राम सिंह एवं लक्ष्मण सिंह अपने पिता के साथ विद्यालय पहुँचे और दोनों का औपचारिक शाला प्रवेश कराया गया। इस अवसर पर पालक ज्ञान सिंह ने कहा, “पारिवारिक कारणों से पिछले वर्ष मैं अपने बच्चों का शाला में प्रवेश नहीं करा पाया। मुझे लगा इस वर्ष अब प्रवेश नहीं हो पाएगा, लेकिन शिक्षकों के सहयोग से मेरे बच्चों को शिक्षा का अवसर मिला।

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