Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी जय बड़ादेव महिला समूह

   रायपुर । मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुसार राज्य की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के विशेष प्रयास किया जा रहे हैं। विभिन्न...

  

रायपुर । मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुसार राज्य की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के विशेष प्रयास किया जा रहे हैं। विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही हितग्राहीमूलक योजनाओं से जोड़कर उन्हें आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित करते हुए  लाभ के अवसर प्रदान किये जा रहे हैं । ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं व्यवसाय प्रारंभ कर आत्मनिर्भर हो रही हैं।

महासमुंद जिले के ग्राम गुलझर की महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि आत्मनिर्भरता का रास्ता दूर नहीं, यदि सही दिशा, दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास साथ हों। वर्ष 2019 में गठित जय बड़ादेव महिला स्व-सहायता समूह ने स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर आजीविका का सशक्त साधन तैयार किया और अपनी आर्थिक स्थिति को नई दिशा दी।

बकरी पालन को बनाया आय का स्थायी माध्यम 

समूह की अध्यक्ष श्रीमती गोमती ध्रुव बताती हैं कि उन्होंने शुरुआत में बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाया, क्योंकि यह ग्रामीण परिवेश में कम लागत और कम प्रशिक्षण में भी लाभकारी साबित हो सकता है। उनके अनुसार बकरी पालन सिर्फ पशुपालन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का एक प्रभावी माध्यम बन गया है।

बिहान योजना से मिली आर्थिक ताकत 

बकरी पालन की शुरुआत उन्होंने बिहान योजना के अंतर्गत 1 लाख रुपये के ऋण से की। नियमित किस्त चुकाने के बाद वे ऋणमुक्त हुईं और फिर क्रमशः 2 लाख और 4 लाख रुपये का ऋण लेकर व्यवसाय का विस्तार किया। समय पर ऋण अदायगी के फलस्वरूप समूह को 15 हजार रुपये का रिवॉल्विंग फंड और 60 हजार रुपये का सामुदायिक निवेश कोष भी प्राप्त हुआ।

बकरी खाद से अतिरिक्त आय और बाजार में मांग 

आज समूह की 8 महिला सदस्यों के पास चार से पाँच बकरियाँ हैं। वे न केवल बकरी पालन कर रही हैं, बल्कि उससे उत्पादित जैविक बकरी खाद को तैयार कर बाज़ार में बेच रही हैं, जिससे प्रत्येक महिला को प्रति माह 4 से 5 हजार रुपये की अतिरिक्त आय हो रही है। बकरी खाद की गुणवत्ता और जैविक प्रकृति के कारण इसकी मांग पुणे जैसे बड़े शहरों में भी बनी हुई है।

आकांक्षा हाट में शानदार प्रदर्शन 

हाल ही में जिला पंचायत परिसर में आयोजित आकांक्षा हाट में समूह द्वारा लगाए गए स्टॉल में बकरी खाद को लोगों का जबरदस्त प्रतिसाद मिला। इससे महिलाओं का उत्साह और आत्मविश्वास और भी बढ़ा है।


प्रेरणास्रोत बनीं ग्रामीण महिलाएं 

श्रीमती गोमती ध्रुव और उनकी साथी महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि यदि ग्रामीण महिलाएं संगठित होकर कार्य करें और शासन की योजनाओं का सही लाभ उठाएं, तो न केवल वे अपनी आजीविका को सशक्त बना सकती हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन सकती हैं। समूह की महिलाएं बिहान योजना और अन्य आजीविका उन्मुख सरकारी योजनाओं के लिए शासन का आभार व्यक्त करती हैं, जिन्होंने उन्हें यह मंच और अवसर प्रदान किया।

No comments