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राजीव गांधी पीजी कॉलेज और मुहिम फाउंडेशन के बीच एमओयू, छात्रों में नेतृत्व क्षमता और सामुदायिक भागीदारी को मिलेगा बढ़ावा

   रायपुर / राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर और मुहिम फाउंडेशन फॉर पार्टिसिपेटरी एक्शन एंड ट्रांसफॉर्मेशन, रायपुर के ब...

  


रायपुर / राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर और मुहिम फाउंडेशन फॉर पार्टिसिपेटरी एक्शन एंड ट्रांसफॉर्मेशन, रायपुर के बीच आज एक गैर-आर्थिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। यह समझौता युवाओं को 21वीं सदी की आवश्यक दक्षताओं से लैस करने, सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने और छात्र नेतृत्व को संस्थागत रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।

समझौते के अंतर्गत महाविद्यालय में सामुदायिक सहभागिता प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी, जो छात्रों को नेतृत्व, संवाद, नवाचार, समस्या समाधान और सामाजिक उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करेगा। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को अपने अकादमिक जीवन को समाज से जोड़ने और सामाजिक सरोकारों से सीधे जुड़ने के अवसर प्राप्त होंगे।

इस पहल के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए वैल्यू-एडेड और सर्टिफिकेशन कोर्सेस की शुरुआत की जाएगी, जिससे उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक कौशल में वृद्धि होगी। छात्र नेतृत्व में एक्शन रिसर्च प्रोजेक्ट्स संचालित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य स्थानीय समस्याओं की पहचान कर उनके समाधान प्रस्तुत करना होगा। लीडरशिप वर्कशॉप, कौशल विकास कार्यक्रम और नीति संवाद जैसे आयोजनों के माध्यम से छात्रों में नेतृत्व क्षमता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास किया जाएगा। इसके साथ ही सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों, संगोष्ठियों के माध्यम से सामाजिक नवाचार को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वर्तमान समय में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका केवल शिक्षा देने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि समाज की आवश्यकताओं से जुड़कर छात्रों को जिम्मेदार नागरिक और स्वरोजगार के लिए तैयार करना भी उतना ही आवश्यक है।

राजीव गांधी महाविद्यालय द्वारा किया गया यह समझौता इस बात का प्रतीक है कि संस्थान न केवल अकादमिक उत्कृष्टता बल्कि सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक सशक्तिकरण की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। यह पहल युवाओं को सशक्त बनाने, नेतृत्व विकसित करने और उन्हें सामाजिक बदलाव का प्रेरक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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