संघर्ष, संयम और संकल्प से सजी आरसीबी की ऐतिहासिक वापसी विजय शंकर द्विवेदी aber news : एक समय ‘कभी नहीं जीतने वाली टीम’ की छवि से जूझती रॉ...
संघर्ष, संयम और संकल्प से सजी आरसीबी की ऐतिहासिक वापसी
विजय शंकर द्विवेदी
aber news : एक समय ‘कभी नहीं जीतने वाली टीम’ की छवि से जूझती रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने इस बार इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में ऐसी इबारत लिखी है जिसे क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया जाएगा। यह केवल एक टीम की जीत नहीं, बल्कि विश्वास, धैर्य और अटूट समर्थन की मिसाल है। इस बार की जीत न सिर्फ खिलाड़ियों की मेहनत की जीत है, बल्कि उन करोड़ों प्रशंसकों की भी है जिन्होंने वर्षों तक "ई साल कप नामदे" का नारा दिल से जिया।
शुरुआत में संघर्ष, अंत में सिंहासन
आईपीएल 2025 के शुरुआती मैचों में आरसीबी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। पहले पाँच मैचों में टीम चार बार हारी। आलोचकों ने एक बार फिर टीम पर पुराने आरोप लगाए – संतुलन की कमी, गेंदबाज़ी में धार नहीं, मध्यक्रम अस्थिर। लेकिन टीम प्रबंधन और कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने धैर्य नहीं खोया। विराट कोहली, जो इस सीजन में उपकप्तान की भूमिका में थे, ने मानसिक मजबूती का परिचय दिया और टीम के युवाओं में आत्मविश्वास भरा।
विराट कोहली की भूमिका: ‘पारंगत’ से ‘मार्गदर्शक’ तक
जहां विराट कोहली ने मैदान पर कई बार अपनी क्लासिक पारियों से टीम को संकट से बाहर निकाला, वहीं ड्रेसिंग रूम में उन्होंने एक सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उनका अनुभव, जुनून और 'कभी हार न मानने' वाला रवैया युवाओं में जोश भरता रहा।
विराट के इस सीजन में बनाए गए 628 रन न केवल आंकड़ों में बेहतरीन थे, बल्कि उनकी 84 रन की नाबाद पारी (क्वालिफायर में चेन्नई के खिलाफ) टीम की रीढ़ साबित हुई। विराट के लिए यह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि भावनात्मक सफर था — एक दशक से ज्यादा इंतजार के बाद ट्रॉफी को छूने का सुख उनके आंखों से छलक पड़ा।
मोहम्मद सिराज और यश दयाल की गेंदबाज़ी ने बदली तस्वीर
जहां पहले आरसीबी की गेंदबाजी को लेकर सवाल उठते रहे, वहीं इस बार मोहम्मद सिराज ने अपने पुराने फॉर्म को हासिल करते हुए शुरुआती ओवरों में धारदार गेंदबाज़ी की। वहीं यश दयाल ने डेथ ओवरों में शानदार यॉर्कर और विविधताओं से बल्लेबाज़ों को परेशान किया। दोनों ने मिलकर टीम की गेंदबाज़ी को मजबूती दी।
राजा बने रजत पाटीदार और दिनेश कार्तिक
इस सीजन में रजत पाटीदार की वापसी चौंकाने वाली नहीं, प्रेरणादायक रही। चोट के बाद वापसी करते हुए उन्होंने कई अहम मौकों पर विस्फोटक पारियां खेली। उनकी फाइनल में खेली गई 72 रन की तेज पारी ने मैच का रुख मोड़ दिया।
दूसरी ओर, अनुभवी दिनेश कार्तिक ने ‘फिनिशर’ की भूमिका को पूरी गंभीरता से निभाया। 39 साल की उम्र में भी उनका मैदान पर चुस्ती और बैटिंग में आक्रामकता युवाओं को भी पीछे छोड़ गई। उन्होंने फाइनल में आखिरी ओवर में दो छक्कों से टीम को जीत की दहलीज पार करवाई।
आरसीबी फैंस: हार में भी साथ, जीत में भी गर्व
किसी टीम के समर्थन का असली मतलब RCB के फैंस से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। हर साल की निराशा के बाद भी उनके समर्थन में कोई कमी नहीं आई। सोशल मीडिया पर “Ee Sala Cup Namde” से लेकर स्टेडियम में लाल जर्सी पहनकर चीयर करना – इस जीत का असली श्रेय उन फैंस को भी जाता है जिनकी उम्मीदें कभी नहीं टूटीं।
फाइनल मुकाबला: रणनीति, धैर्य और दमखम की जीत
फाइनल मुकाबला कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के खिलाफ खेला गया, जो इस सीजन की सबसे संतुलित और आक्रामक टीम मानी जा रही थी। लेकिन आरसीबी ने जहां रणनीति में सूझबूझ दिखाई, वहीं मैदान पर संयम और आक्रामकता का बेहतरीन संतुलन साधा। पहले बल्लेबाजी करते हुए RCB ने 184 रन बनाए। जवाब में KKR की टीम 172 रन पर सिमट गई। यश दयाल ने आखिरी ओवर में 8 रन बचाकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
ट्रॉफी से परे एक जीत: ब्रांड की, भरोसे की और बदलाव की
RCB की जीत केवल एक ट्रॉफी का मामला नहीं, बल्कि एक पूरे ब्रांड की नयी शुरुआत है। वर्षों की आलोचना, व्यंग्य और मीम्स के साए से निकलकर यह टीम अब गर्व, संतुलन और भविष्य की उम्मीद का प्रतीक बन गई है। टीम प्रबंधन, कोचिंग स्टाफ और खिलाड़ियों ने मिलकर एक ऐसा संयोजन पेश किया जिसे आने वाले वर्षों में अन्य टीमें प्रेरणा के रूप में देखेंग
यह केवल जीत नहीं, इतिहास है
RCB की यह जीत न केवल IPL ट्रॉफी का सपना पूरा करना है, बल्कि यह उस भरोसे की जीत है जो हर असफलता के बाद भी कायम रहा। यह कहानी है संघर्ष से सफलता की, आलोचना से स्वीकार्यता की और एक सपने के सच होने की।
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