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मैट्स विश्वविद्यालय में "स्वयं" पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ बनाने की क्रांति का नाम है "स्वयं"    रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर की मेजबानी में भारती...



सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ बनाने की क्रांति का नाम है "स्वयं"
 
 रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर की मेजबानी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्तान कानपुर के राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संवर्धित शिक्षण कार्यक्रम (एनपीटीईएल) द्वारा  संयुक्त रूप से आनलाइन निःशुल्क शिक्षा कार्यक्रम "स्वयं" पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय था   “स्वयं के साथ विकल्प-आधारित, क्रेडिट-संचालित शिक्षा को सशक्त बनाना”।  इस कार्यशाला का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा संस्थानों में स्वयं के ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के एकीकरण को बढ़ावा देना था, जिससे छात्रों के लिए लचीले, सुलभ और क्रेडिट-संचालित सीखने के अवसरों को बढ़ावा मिल सके।
इस समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ सरकार के उच्च शिक्षा सचिव डॉ. एस. भारतीदासन ने "स्वयं" पहल पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा नीति के तीन प्रमुख सिद्धांतों: पहुँच, समानता और गुणवत्ता को प्राप्त करने में इसकी भूमिका को रेखांकित किया। डॉ. भारतीदासन ने  बताया कि कैसे प्रमुख संस्थानों द्वारा पेश किए जाने वाले "स्वयं" के मुफ़्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम छात्रों को हस्तांतरणीय अकादमिक क्रेडिट अर्जित करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने एनईपी के समग्र और लचीली शिक्षा के दृष्टिकोण के साथ स्वयं को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में एकीकृत करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ अपने युवाओं को प्रतिस्पर्धी वैश्विक परिदृश्य के लिए सशक्त बनाने के लिए स्वयं का लाभ उठाने के लिए तैयार है।"
इसके पूर्व  कार्यशाला की शुरुआत मैट्स विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.पी. यादव के प्रेरक संबोधन से हुई। प्रो. यादव ने शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने और इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ जोड़ने में  स्वयं (SWAYAM) की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वयं की पसंद-आधारित क्रेडिट प्रणाली छात्रों को अपने सीखने के रास्ते को निजीकृत करने का अधिकार देती है, जिससे पारंपरिक शिक्षा और आधुनिक कौशल आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वयं सिर्फ़ एक मंच नहीं है; यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने में एक क्रांति है।
कार्यशाला के मुख्य समन्वयक और वक्ता उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक प्रो. जी. ए. घनश्याम ने छत्तीसगढ़ के शैक्षणिक संस्थानों में स्वयं को लागू करने के व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए  छात्रों की भागीदारी को अधिकतम करने के लिए संकाय प्रशिक्षण और संस्थागत समर्थन के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आईआईटी कानपुर में स्वयं और स्वयं-एनपीटीईएल के लिए वरिष्ठ परियोजना वैज्ञानिक और स्थानीय अध्याय समन्वयक डॉ. अंगना सेनगुप्ता ने एनईपी-2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने, विशेष रूप से सकल नामांकन अनुपात (GER) को बढ़ाने और शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने में स्वयं की भूमिका पर प्रकाश डाला। इंटरैक्टिव सत्र के दौरान विशेषज्ञों ने स्वयं पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में एकीकृत करने और डिजिटल पहुँच और क्रेडिट हस्तांतरण जैसी चुनौतियों का समाधान करने की रणनीतियों पर जौर दिया।
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के परीक्षा नियंत्रकों, कुलसचिवों, संकाय सदस्यों और छात्रों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कार्यशाला के समापन के दौरान मैट्स  विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गोकुलनंद पांडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके पूर्व डीन एकेडमिक डा. विजय भूषण ने स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों का परिचय कराया।

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