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छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्यों में भी संभाला चुनावी मोर्चा, आदिवासियों की बोली-भाषा में ही प्रचार

 रायपुर। छत्तीसगढ़ में महज चार महीने पहले भाजपा सरकार में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से वह प्रदेश के पह...

 रायपुर। छत्तीसगढ़ में महज चार महीने पहले भाजपा सरकार में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से वह प्रदेश के पहले निर्विवादित आदिवासी मुख्यमंत्री चेहरा बनकर उभरे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले साय ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ ,बल्कि देश के अन्य आदिवासी बहुल राज्यों में भी लोकसभा की चुनावी सभाएं तेज कर दी हैं। आदिवासियों की भौगोलिक एकाकीपन, संकुचित स्वभाव, विशिष्ट संस्कृति और बोली-भाषा को करीब से समझने वाले साय उनकी ही बोली-भाषा में अपनी बात रखकर उनसे संपर्क साधने में अधिक मजबूत साबित हो रहे हैं। वह छत्तीसगढ़ में कहते हैं कि ''छत्तीसगढ़ में विकास होही सांय सांय'' अर्थात प्रदेश में जल्दी-जल्द विकास के काम होंगे। अपने सहज और विनम्र स्वभाव के कारण साय देश के आदिवासी इलाकों में अच्छी छाप भी छोड़ रहे हैं। आदिवासी क्षेत्रों में मोदी सरकार की योजनाओं को गिनाते हुए चावल, स्वास्थ्य, आवास आदि की समुचित व्यवस्था, तेंदूपत्ता की अधिकतम क़ीमत पर खरीदी समेत ऐसे विषय जब आंकड़ों के साथ साय उन्हीं की भाषा में रखते हैं तो अच्छे से कनेक्ट कर पाते हैं। पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संकल्प पत्र समिति में भी इन्हें स्थान दिया तो उसका संदेश भी स्पष्ट है। साय आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, झारखंड, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी हित और मोदी की गारंटी के अजेय मंत्र की बदौलत समीकरण साधने में लगे हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के संदेश को आदिवासियों तक पहुंचाने और आदिवासी समाज में पैठ मजबूत कर समीकरण साधने में साय सबसे सटीक चेहरा बन चुके हैं। साथ ही सरल और सौम्य विष्णुदेव राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे के रूप उभर रहे हैं। इनका अधिक से अधिक उपयोग भाजपा अब देश भर के आदिवासी समाज को साधने में कर रही है। लगातार सीएम विष्णुदेव की सभाएं पड़ोसी यथा मध्य प्रदेश से लेकर तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड आदि में हो रही है। अभी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में भी उनकी सभाएं होनी हैं।

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