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अमृत काल में राष्ट्र समृद्धि में सहयोग दें : मोदी

  नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा ने कहा कि देश अमृत काल में समृद्धि की नयी ऊंचाइयां छू रहा है और इसे समाज ...

 

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा ने कहा कि देश अमृत काल में समृद्धि की नयी ऊंचाइयां छू रहा है और इसे समाज तक ले जाने में सभी को योगदान करना चाहिए। श्री मोदी ने सदन में सेवानिवृत हो रहे 68 सदस्यों के विदाई के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यसभा में प्रति दो वर्ष के बाद नए सदस्य आते हैं और पुराने विदा लेते हैं। यह सदन निरंतरता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह सदन प्रति दो वर्ष के बाद नई ऊर्जा अर्जित करता है और अपने कार्यों का निर्वहन पूरा करता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और सेवानिवृत हो रहे डॉ मनमोहन सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके जीवन से सभी सदस्यों को प्रेरणा लेनी चाहिए। एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्माण करते हुए उन्होंने न केवल संसदीय कार्यों को पूरा किया है बल्कि लोकतंत्र को भी मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि देश अमृत काल के दौर में है और देश समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। सेवानिवृत हो रहे सदस्यों को इस समृद्धि को समाज के प्रत्येक तबके तक ले जाने में मदद करनी चाहिए। इन सदस्यों के पास अनमोल अनुभव होता है जिसे वे समाज के कल्याण में प्रयोग कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कोविड काल के दौरान सदन में विभिन्न प्रतिबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी सदस्यों ने इसमें सहयोग किया और राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि समझा। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में सदन की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सदन में फैशन शो भी हुआ और काले कपड़े पहनने का अनुभव भी देखा। उन्होंने कहा है कि देश में नयी समृद्धि आ रही है। हमारे यहां अच्छे काम के समय काला टीका लगाने की परंपरा है। अमृत काल में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे काला टीका लगाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं इसका स्वागत करता हूं।” श्री मोदी ने संस्कृत के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि गुणी व्यक्तियों के साथ रहने से गुण बढ़ जाते हैं जबकि निर्गुण व्यक्तियों के साथ रहने से दोष बढ़ जाते हैं। नदियों का जल तभी तक पीने योग्य होता है जब तक वह बहता रहता है। इसलिए सदस्यों को निरंतर चलते रहने का प्रयास करना चाहिए समाज में अपना योगदान देते रहना चाहिए।

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