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इस बास मकर संक्रांति खास, सिंह में सवार है संक्रांत


रायपुर। साल 2021 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन पर्व का का पुण्य काल 8 घंटे का रहेगा। यह सुबह 8 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक होगा। संक्रांत इस बार बाल्य अवस्था में आ रही है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी। इसी दिन पोंगल, बिहू और उत्तरायण पर्व भी मनाया जाएगा।
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार संक्रांति का वाहन सिंह है अर्थात वह सिंह की सवारी कर आएगी। उनका उप वाहन गज यानि हाथी है। संक्रांति सफेद वस्त्र धारण किए होंगी। आग्नेय दृष्टि के साथ पूर्व की ओर संक्रांत का गमन होगा। इस दौरान स्नान-दान से कई गुना फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति पर मकर राशि में कई महत्वपूर्ण ग्रह एक साथ गोचर करेंगे। इस दिन सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। जो एक शुभ योग का निर्माण करते हैं। इसीलिए इस दिन किया गया दान और स्नान जीवन में बहुत ही पुण्य फल प्रदान करता है और सुख समृद्धि लाता है। धर्मशास्त्र के अनुसार यदि दिन में सूर्य का संक्रमण होता है तो संक्रांति का पुण्यकाल उसी दिन रहता है। वहीं इस वर्ष श्रवण नक्षत्र में मकर संक्रांति हो रही है। इससे महंगाई पर नियंत्रण करने के प्रयास तेज होंगे।
इस वर्ष मकर संक्रांति पर सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा मकर राशि में होंगे। इस स्थिति को मकर संक्रांति के लिए बेहद शुभ फलदायी माना गया है। इस दिन सूर्यदेव के साथ इन सब ग्रहों का पूजन करें। सूर्यदेव के साथ नवग्रहों का विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।
-करें इन चीजों का दन
मकर संक्रांति के दिन अगर दान किया जाए तो इसका महत्व बेहद विशेष होता है। इस दिन व्यक्ति को अपने सामथ्र्यनुसार दान देना चाहिए। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को अशुभ माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें शुभता, सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। जो आध्यात्मिक क्रियाओं से जुड़े हैं उन्हें शांति और सिद्धि प्राप्त होती है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो पूर्व के कड़वे अनुभवों को भुलकर मनुष्य आगे की ओर बढ़ता है। स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है, अत: इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह ब्रह्मा को प्राप्त होता है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।
-सूर्य देव की करें उपासना
मकर संक्रांति भगवान सूर्य का प्रिय पर्व है। सूर्य की साधना से त्रिदेवों की साधना का फल प्राप्त होता है। ज्ञान-विज्ञान, विद्वता, यश, सम्मान, आर्थिक समृद्धि सूर्य से ही प्राप्त होती है। सूर्य इस ग्रह मंडल के स्वामी हैं। ऐसे में सूर्योपासना से समस्त ग्रहों का कुप्रभाव समाप्त होने लगता है। इस दिन सूर्य का मंत्र- 'ऊं घृणि: सूर्याघ्र्य नम:Ó का जप या 'ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:Ó का जप करना चाहिए। इस दिन स्नान कर कलश या तांबे के लोटे में पवित्र जल भरकर उसमें चंदन, अक्षत और लाल फूल छोड़कर दोनों हाथों को ऊंचा उठाकर पूर्वाभिमुख होकर भगवान सूर्य को 'एही सूर्य सहस्त्रांसो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणाघ्र्यं दिवाकर।Ó मंत्र से जलार्पण करना चाहिए। इस दिन सूर्य से संबंधित स्तोत्र, कवच, सहस्त्र नाम, द्वादश नाम, सूर्य चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए।

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