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सहकारी समिति से किसानों को कृषि कार्य के लिये पूर्व की तरह प्रति एकड़ 26,000 रु. दिया जाये

  भाजपा सरकार का सहकारी समिति को किसानों को प्रति एकड़ मात्र 10,500 रु. देने का आदेश किसान विरोधी रायपुर।  भाजपा सरकार के द्वारा सहकारी समित...

 


  • भाजपा सरकार का सहकारी समिति को किसानों को प्रति एकड़ मात्र 10,500 रु. देने का आदेश किसान विरोधी


रायपुर।
 भाजपा सरकार के द्वारा सहकारी समितियों को इस वर्ष किसानों को फसल लगाने प्रति एकड़ मात्र 10500 रु मात्र देने के आदेश को किसान विरोधी कदम बताते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 3 महीने में ही भाजपा के किसान हितैषी होने का मुखौटा उतर गया है, भाजपा की सरकार किसानों को मदद करना नहीं चाहती है। कांग्रेस सरकार के दौरान किसानों को फसल लगाते वक्त केंद्रीय सहकारी बैंक के माध्यम से सहकारी समितियां से प्रति एकड़ कृषि कार्य के लिए 20,000 नगद एवं 6,000 रु खाद बीज के लिए अतिरिक्त दिया था, उसे भाजपा सरकार ने कटौती करते हुए प्रति एकड़ मात्र 10,500 रु. देने का आदेश दिया है। कांग्रेस पार्टी भाजपा सरकार से इस आदेश को वापस लेने और पूर्व की तरह ही किसानों को 26,000 रुपए प्रति एकड़ देने की मांग करती है।


प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार जिन्होंने 21 क्विंटल धान 3100 रुपए के भाव में खरीदने की घोषणा की है, एक ही बार धान खरीदने में उनके हाथ पांव फूलने लगे हैं इसीलिए किसान ज्यादा फसल उत्पादन ना कर सके। उन्हें आर्थिक रूप से परेशान कर रही है, किसानों को अगर सही समय पर आर्थिक मदद मिल जाती है तो किसान निश्चिंत होकर खेती किसानी में जुट जाते हैं और अच्छा उत्पादन करके आर्थिक रूप से सक्षम बनते हैं।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि अब भाजपा के नेता भी कांग्रेस सरकार के दौरान किसानों के हित में शुरू किए गए योजनाओं को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं और अपने ही सरकार को आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही किसानों से 21 क्विंटल धान की खरीदी किया है। अब आने वाले 5 वर्षों तक वह किसानों से 21 क्विंटल धान नहीं खरीदना चाहती। इसीलिए अब वह सरकारी समितियां के माध्यम से मिलने वाली सहायता को भी कम कर रही है ताकि किसान आर्थिक संकट से परेशान रहे और खेती किसानी न कर पाए।

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