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धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा विशालकाय खतरा, संकट में पड़ सकता है मानव जीवन

नई दिल्ली। दुनिया भर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में हो रही हलचलों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं जिससे नई-नई जानकारियां निकल कर सामने आती हैं। अब हाल...


नई दिल्ली। दुनिया भर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में हो रही हलचलों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं जिससे नई-नई जानकारियां निकल कर सामने आती हैं। अब हाल ही में एक डेटा सामने आया है जिसमें बताया गया है कि धरती की तरफ तेजी से एक क्षुद्र ग्रह आ रहा है। दरअसल, नासा ने एक डेटा जारी किया है जिसके अनुसार, धरती की तरफ एक ऐसा क्षुद्रग्रह तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण मानव अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस क्षुद्रग्रह का आकार लंदन आई से भी कहीं बड़ा है। हालांकि इस क्षुद्रग्रह का धरती पर क्या असर होगा इसका अभी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। अगर ये धरती से टकराता है तो हो सकता है कि इससे देश के देश या पूरी मानव सभ्यता ही संकट में पड़ जाए। इस बार जिस क्षुद्रग्रह के धरती के करीब पहुंचने का दावा वैज्ञानिक कर रहे हैं उसका नाम 2007 यू वाई-१ है जिसका आकार लगभग 150 मीटर होने का अनुमान है।
दरअसल, वैज्ञानिकों को साल 2007 के अक्टूबर महीने में ये विशाल क्षुद्रग्रह नजर आया था। 2007 यू वाई1 क्षुद्रग्रह का आकार 150 मीटर के करीब है। वैज्ञानिकों के द्वारा बीते 2 फरवरी 2022 को जुटाए गए डेटा के अनुसार, ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के करीब तो आएगा, लेकिन 5 मिलियन किलोमीटर दूर रहेगा। हालांकि, ये दूरी सामान्य तौर पर बहुत ज्यादा है,लेकिन अंतरिक्ष के लिहाज से ये दूरी कोई ज्यादा नहीं है।
वहीं नासा के द्वारा साझा किए डेटा के अनुसार, इस क्षुद्रग्रह के 8 फरवरी को धरती की कक्षा के करीब आने की उम्मीद है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अभी तक के अध्ययन में जो जानकारी निकल कर सामने आई उससे अभी धरती को ज्यादा खतरा नहीं नजर आता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि खतरा पूरी तरह से टल जाएगा, क्योंकि वैज्ञानिकों की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, 4 मार्च को एक और क्षुद्रग्रह धरती के करीब आने वाला है। इसका नाम 2001 सीबी 21 है जिसकी चौड़ाई 4,265 फीट है। जानकार इस क्षुद्रग्रह को बेहद खतरनाक मान रहे हैं।
हालांकि, एहतियात के तौर पर नासा ने इस क्षुद्रग्रह से निपटने के लिए पिछले साल एक भारी अंतरिक्ष यान लांच किया था। वहीं नासा को ऐसे क्षुद्रग्रहों की पहचान करने की जिम्मेदारी मिली हुई है जो सामान्य क्षुद्रग्रहों से 90 फीसदी बड़े हैं। जिससे इन क्षुद्रग्रहों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और आने वाले भविष्य के खतरों को टाला जा सके।

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