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कोरोना रोकथाम में प्रशासन की बात नहीं मानी तो हो सकती है दो साल की जेल

कलेक्टर ने अधिकारियों को फील्ड में जाकर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग करने को कहा इन्सिडेंट कमांडरों को कोरोना रोकथाम में बाधा डालने वालों पर एफआईआर ...



कलेक्टर ने अधिकारियों को फील्ड में जाकर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग करने को कहा
इन्सिडेंट कमांडरों को कोरोना रोकथाम में बाधा डालने वालों पर एफआईआर के निर्देश
रायपुर। कोरोना की नई लहर को देखते हुए छत्तीसगढ़ में भी प्रशासनिक सख्ती शुरू हो गई है। रायपुर कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन ने आपदा प्रबंधन कार्य में बाधा डालने वालों पर एफआईआर के निर्देश दिए हंै। अगर किसी ने कोरोना का प्रसार रोकने के लिए प्रशासन की ओर से जारी आदेशों को नहीं माना तो उन्हें एक महीने से दो साल तक जेल की सजा हो सकती है।
कलेक्ट्रेट परिसर स्थित रेडक्रास सोसाइटी सभाकक्ष में जिला कोविड टास्क फोर्स की बैठक में कलेक्टर ने यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा, कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी इंन्सिडेट कमांडर फील्ड में जाकर कार्य करें। कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग का कार्य भी प्रभावी रूप से किया जाए। कलेक्टर ने कहा, यह देखा जा रहा है कि लोग मास्क को लेकर भी गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा, जो लोग कोविड-19 के लिए जारी नियमों और आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा होम आइसोलेशन के दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य रूप से किया जाए। कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने कहा- कोविड-19 रोकथाम के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 से 60, एपिडेमिक डिसीजेज एक्ट के सुसंगत प्रावधानों और एपिडेमिक डिसीजज कोविङ-19 रेगुलेशन के तहत संबंधित थाने में एफआईआर कराई जाएगी। एफआईआर कराने का उत्तरदायित्व संबंधित इंसिडेंट कमांडर का होगा, जिसके लिए इंसिडेंट कमांडर द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों को प्राधिकृत किया जा सकता है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि कोविड-19 प्रबंधन कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। बैठक में एसएसपी अजय कुमार यादव, निगम आयुक्त सौरभ कुमार, जिला पंचायत के सीईओडॉ. गौरव कुमार सिंह सहित नगर निगम के सभी जोन कमिश्नर, इंसिडेंट कमांडर और संबंधित अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित थे।
आपदा प्रबंधन की धाराओं में ऐसे हैं प्रावधान
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बाधा डालने आदि के लिए एक वर्ष तक के कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। अगर ऐसी बाधा या निर्देशों का पालन करने से इनकार करने के परिणामस्वरूप किसी की जान चली जाती है या जान जाने का खतरा पैदा होता है तो सजा की अवधि दो साल तक हो सकेगी।
अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या दूसरे फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है यानी वह प्रभावित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताता है तो उसे दो साल तक की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।
अगर किसी आपदा की परिस्थिति में कोई झूठी चेतावनी या खबर फैलाता है, जिससे लोगों के बीच घबराहट फैले, पैनिक हों तो एक साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
अगर कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों, कर्तव्यों का पालन नहीं करता है तो एक साल की जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

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