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कोरोना: अफ्रीका में मिले स्ट्रेन में बदलाव को नहीं पहचान पाएगा कोरोना टीका

नई दिल्ली। कोरोना से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। इसी बीच कई देशों ने वैक्सीन भी बना ली है। भारत में  फिलहाल कोरोना से राहत दिखती मिल ...



नई दिल्ली। कोरोना से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। इसी बीच कई देशों ने वैक्सीन भी बना ली है। भारत में  फिलहाल कोरोना से राहत दिखती मिल रही है। यहां दैनिक मामलों में गिरावट जारी है, और मौते भी कम हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर कोरोना वैक्सीन भी जल्द ही लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है। वहीं नए स्ट्रेन वीयूआई- 202012/01 को लेकर भी  टीके के असरदार होने की वैज्ञानिक पुष्टि कर चुके हैं, लेकिन इसके उलट दक्षिण अफ्रीका में मिले स्ट्रेन 501वीयू और 484के के खिलाफ वैक्सीन के असर की पुष्टि नहीं हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस जब अपने प्रोटीन की संरचना में बदलाव करता है तो शरीर टीका लगने के बाद भी उसे पहचान नहीं पाता है। इस कारण कोरोना के नए स्ट्रेन में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक वन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर सर जॉन बेल बताते हैं कि कोरोना वैक्सीन शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र को पैथोजन से लडऩे के लिए प्रशिक्षित करती है। वैक्सीन एंटीबॉडीज प्रोटीन बनाती है और उसे संरक्षित करती है जिससे भविष्य में वह उस तरह के वायरस के संपर्क में आने पर उससे लड़ाई शुरू कर सकें।अगर वायरस ने म्यूटेशन कर लिया तब वैक्सीन के प्रोटीन को नहीं पहचान पाएगी और व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो जाएगा। ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन की चपेट में आने वालों पर वैक्सीन का असर मुश्किल लग रहा है। क्योंकि वायरस के इस स्ट्रेन ने अपने प्रोटीन में बदलाव किया है।

अधिक संक्रामक स्ट्रेन वैक्सीन के लिए खतरा
प्रोफेसर जॉन बताते हैं कि वायरस के दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के प्रोटीन में बदलाव चिंताजनक है। वैक्सीन ब्रिटेन के स्ट्रेन के खिलाफ काम करेगी लेकिन दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ क्या करेगी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसको लेकर सवाल जस का तस खड़ा हुआ है। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि नाइजीरिया में भी कुछ ऐसे ही स्ट्रेन हैं जो अधिक संक्रामक हैं।

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