रायपुर। रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहे एंटीबायोटिक इंजेक्शन की गुणवत्ता को लेकर सामने आई शिकायतों के बाद डिबाय...
रायपुर। रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहे एंटीबायोटिक इंजेक्शन की गुणवत्ता को लेकर सामने आई शिकायतों के बाद डिबायन लेबोरेट्रीज को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने कंपनी की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उसने एनएसक्यू (गुणवत्ता में खराब) रिपोर्ट को चुनौती दी थी। कोर्ट ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSCL) की कार्रवाई सही है।
दरअसल, मामला हेप्टीनिन इंजेक्शन की खराब क्वालिटी को लेकर उठा था। CGMSCL द्वारा कराई गई जांच में इंजेक्शन एनएसक्यू (नॉन स्टैंडर्ड क्वालिटी) पाया गया था। इसके बाद डिबायन लेबोरेट्रीज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
अदालत में राज्य सरकार का पक्ष मजबूत
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल शुक्ल भारत और CGMSCL की तरफ से सीनियर एडवोकेट राघवेन्द्र प्रधान ने कोर्ट में तर्क रखे। वहीं डिबायन लेबोरेट्रीज की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शशि किरण ने पैरवी की।
कोर्ट ने सुनवाई में साफ किया कि ₹25 हजार का जुर्माना लगाया जा रहा है क्योंकि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने डिबायन को आगे ऐसी याचिका दाखिल करने की आजादी (liberty) भी नहीं दी।
पूरा मामला क्या था?
मामला तब सामने आया जब रायपुर और अंबिकापुर के सरकारी अस्पतालों से हेप्टीनिन इंजेक्शन को लेकर गंभीर शिकायतें मिलने लगीं। जांच में इंजेक्शन मानक के अनुरूप नहीं पाया गया।
इसके बाद CGMSCL ने फौरन बड़ी कार्रवाई की—
- स्टॉक में मौजूद सभी इंजेक्शन को तुरंत वापस मंगाया गया,
- सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट भी रद्द कर दिया गया,
- और डिबायन लेबोरेट्रीज को अगले तीन साल तक काली सूची (blacklist) में डाल दिया गया।
डिबायन लेबोरेट्रीज ने इन्हीं कार्रवाइयों को कोर्ट में चुनौती दी थी, जो हाईकोर्ट ने अब खारिज कर दी।
CGMSCL का साफ संदेश
CGMSCL का कहना है कि जनता की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी किसी भी लापरवाही पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि राज्य सरकार और CGMSCL की गुणवत्ता को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति जारी रहेगी।
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