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भारत का वो अनोखा मंदिर, जहां पत्थरों को थपथपाने पर आती है डमरू की आवाज

नई दिल्ली। भारत में रहस्यमय और प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है। देश के कोने-कोने में कोई न कोई मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। इनमें से क...


नई दिल्ली। भारत में रहस्यमय और प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है। देश के कोने-कोने में कोई न कोई मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। इनमें से कई मंदिरों को लोग चमत्कारी और रहस्यमय भी मानते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर रहस्यमय कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यहां पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है। असल में यह एक शिव मंदिर है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यह मंदिर देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है, जिसे जटोली शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। मंदिर का भवन निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है, जो देखते ही बनता है। इस मंदिर को लेकर ये मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि, साल 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य रूका नहीं बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी। जटोली शिव मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का समय लगा। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ है। यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा। इस मंदिर में हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसे बेहद ही खास बना देता है।

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