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मैट्स विश्वविद्यालय बना शोध और नवाचार का केंद्र

गुल्लू-आरंग परिसर में शुरू हुआ द्विदिवसीय राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन आरंग।  छत्तीसगढ़ के एकमात्र NAAC A+ ग्रेड प्राप्त निजी विश्वविद्यालय ...



गुल्लू-आरंग परिसर में शुरू हुआ द्विदिवसीय राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन

आरंग। छत्तीसगढ़ के एकमात्र NAAC A+ ग्रेड प्राप्त निजी विश्वविद्यालय मैट्स विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर गुल्लू-आरंग में द्विदिवसीय अनुसंधान सम्मेलन का भव्य शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन उच्च शिक्षा में अनुसंधान, नवाचार और अंतर्विषयक सोच को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आया है।

मैट्स विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से ही शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ वैज्ञानिक एवं सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु शोध आधारित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता रहा है। यही कारण है कि विश्वविद्यालय आज शिक्षार्थियों के सर्वांगीण विकास का केंद्र बनकर उभरा है।

अनुसंधान और नवाचार: विकासशील राष्ट्रों की रीढ़

सम्मेलन के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि अनुसंधान नए ज्ञान का सृजन करता है, जबकि नवाचार उस ज्ञान को समाजोपयोगी मूल्य में बदलता है। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह सम्मेलन शोधार्थियों को उनके अंतर-विषयक अनुसंधान कार्यों पर विचार-विमर्श के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करता है, जहाँ विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के विद्वान एक साझा दृष्टिकोण के साथ संवाद करते हैं।

दीप प्रज्वलन के साथ हुआ शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं सामाजिक विचारकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

देश-प्रदेश के नामचीन विद्वानों की सहभागिता

अनुसंधान सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता के रूप में—

  • डॉ. जितेंद्र सिंह, डायरेक्टर रिसर्च सर्विस, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, पाटन (दुर्ग)
  • डॉ. अमित दुबे, साइंटिस्ट, सीजी कॉस्ट, रायपुर
  • डॉ. कमलेश कुमार श्रीवास, एसओएस केमिस्ट्री, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
  • डॉ. कमलेश कुमार शुक्ला, एसओएस बायोटेक्नोलॉजी, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
  • डॉ. तोप लाल वर्मा, राष्ट्रीय सेवक संघ, छत्तीसगढ़ क्षेत्र
  • डॉ. शुभा बनर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

की उपस्थिति ने सम्मेलन को विशेष गरिमा प्रदान की।

सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत की संयोजक ने

अतिथियों के स्वागत एवं आतिथ्य भेंट के पश्चात अनुसंधान सम्मेलन की संयोजक डॉ. मनीषा अग्रवाल ने सम्मेलन की रूपरेखा, उद्देश्य एवं विषयवस्तु की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह आयोजन शोधार्थियों के लिए विचार, विमर्श और नवाचार का साझा मंच है।

कुलपति ने शोध के महत्व पर डाला प्रकाश

मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.पी. यादव ने स्वागत भाषण में शोध के अर्थ, महत्व और सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शोध केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का माध्यम है

कुलाधिपति ने प्राच्य ज्ञान पर रखे विचार

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने उपस्थित अतिथियों एवं विद्वानों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्राचीन भारत के मनीषियों द्वारा ज्योतिष, पंचांग, आयुर्वेद, चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान को रेखांकित करते हुए उसकी वर्तमान वैश्विक प्रासंगिकता पर विशेष बल दिया।

शहरी बागवानी से खाद्य सुरक्षा तक

विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने व्याख्यान में अर्बन हॉर्टिकल्चर पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में छतों पर फल, सब्जी एवं फूल उगाकर

  • खाद्य सुरक्षा
  • पर्यावरण गुणवत्ता
  • मानसिक स्वास्थ्य
  • स्थिरता

जैसे विषयों में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है।

फूड एंड एग्रीकल्चर नेक्सस पर विमर्श

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की डॉ. शुभा बनर्जी ने फूड एंड एग्रीकल्चर नेक्सस पर प्रकाश डालते हुए भारत की कृषि एवं खाद्य प्रणाली का विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रामीण भारत में पारंपरिक खाद्य पोषक तत्वों और बदलती खाद्य व्यवस्था पर गहन विवेचना की।

वंदे मातरम्: राष्ट्रवाद की प्रेरणा

डॉ. तोप लाल वर्मा ने वंदे मातरम् के 150वें वर्ष के अवसर पर इसे राष्ट्रवाद की प्रमुख प्रेरणा बताते हुए इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैचारिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इनोवेशन, IPR और पर्यावरण पर व्याख्यान

  • डॉ. अमित दुबे ने IPR एवं DST की भूमिका पर रोचक व्याख्यान दिया और नवाचार को अनुसंधान की आत्मा बताया।
  • डॉ. कमलेश कुमार श्रीवास ने इनोवेशन एवं रिसर्च में नॉवेल्टी पर शोधार्थियों को मार्गदर्शन दिया।
  • डॉ. कमलेश कुमार शुक्ला ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विषय पर व्याख्यान देते हुए प्रदूषण नियंत्रण के व्यावहारिक उपाय सुझाए।

कुलसचिव का धन्यवाद ज्ञापन

प्रथम दिवस के समापन पर कुलसचिव श्री गोकुलानंद पंडा ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकवृंद एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करते हुए युवाओं को अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

सफल आयोजन पर हर्ष

इस अवसर पर महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया ने अनुसंधान सम्मेलन के प्रथम दिवस के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे विश्वविद्यालय की शोध संस्कृति को मजबूत करने वाला कदम बताया।



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