लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अब तक की सबसे कड़ी और निर्णायक कार्रवाई शुर...
लखनऊ
। उत्तर प्रदेश में नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ की सरकार ने अब तक की सबसे कड़ी और निर्णायक कार्रवाई शुरू कर दी
है। 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत चलाए जा रहे इस विशेष अभियान में
कोडीनयुक्त कफ सीरप के जरिए युवाओं को नशे की गिरफ्त में धकेलने वाले
अंतरराष्ट्रीय गिरोह की कमर तोड़ दी गई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
के सख्त रुख ने साफ कर दिया है कि अब इस काले धंधे से जुड़े लोगों को किसी
भी तरह की कानूनी राहत नहीं मिलेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार
दिनों तक चली गहन सुनवाई के बाद कोर्ट ने 22 आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक
लगाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। यह फैसला न केवल जांच एजेंसियों
के लिए बड़ी राहत है, बल्कि यह भी संकेत है कि न्यायपालिका इस अपराध को
केवल नियमों की अनदेखी नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ गंभीर हमला मान रही है।
अपर
महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी की दलीलों से सहमत होते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कहा
कि कफ सिरप का अवैध भंडारण और तस्करी सीधे तौर पर NDPS एक्ट के अंतर्गत
आता है। आरोपियों के उस तर्क को खारिज कर दिया गया, जिसमें इसे केवल
लाइसेंस से जुड़ा तकनीकी मामला बताया जा रहा था।
सरकार ने कोर्ट के
सामने यह मजबूती से रखा कि यह मामला साधारण तस्करी का नहीं, बल्कि युवाओं
को नशे की गिरफ्त में झोंकने वाले संगठित अपराध का है। शुभम जायसवाल, भोला
प्रसाद और विभोर राणा जैसे प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तारी से किसी भी प्रकार
की राहत नहीं दी गई।
अक्टूबर 2025 से शुरू हुआ यह विशेष अभियान अब
देश में नशीली दवाओं के खिलाफ सबसे बड़े अभियानों में गिना जा रहा है। STF,
FSDA और राज्य पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक
फैले लगभग 2000 करोड़ रुपये के ड्रग सिंडीकेट की परत-दर-परत पोल खुल चुकी
है।
जांच में सामने आया है कि सीए विष्णु अग्रवाल और बर्खास्त
सिपाही आलोक प्रताप सिंह जैसे लोगों ने 140 से अधिक फर्जी कंपनियों के
माध्यम से अवैध कमाई को वैध दिखाने का बड़ा तंत्र खड़ा किया था। झारखंड,
हिमाचल प्रदेश और हरियाणा तक फैले इस नेटवर्क से जुड़े अहम सबूतों को
मिटाने की कोशिशें भी जांच एजेंसियों ने समय रहते नाकाम कर दीं।
योगी
सरकार अब इस नेटवर्क की आर्थिक ताकत पर सीधा प्रहार कर रही है। केवल
गिरफ्तारी तक सीमित न रहकर अपराधियों को पूरी तरह आर्थिक रूप से निष्क्रिय
करने की रणनीति पर काम हो रहा है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की
धारा 107 के तहत संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब
तक 30 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज किया जा चुका है, जिनमें करोड़ों रुपये
के लेन-देन के प्रमाण मिले हैं।
वाराणसी, कानपुर, लखनऊ और सहारनपुर
में नशे की कमाई से खड़ी की गई अवैध संपत्तियों की पहचान कर ली गई है।
प्रशासन ने संकेत दे दिए हैं कि जल्द ही इन निर्माणों पर बुलडोजर कार्रवाई
की जाएगी।
यह पूरा अभियान साफ संदेश देता है कि उत्तर प्रदेश में
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों के लिए न तो जमीन सुरक्षित है, न
पैसा और न ही कानून से बचने का कोई रास्ता।
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