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सुदूर अंचलों में गढ़ी जा रही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव

   युक्तियुक्तकरण नीति से बढ़ रहा पालकों का विश्वास रायपुर  । राज्य शासन द्वारा चलाए गए युक्तियुक्तकरण अंतर्गत राज्य के सभी विद्यालयों में...

  

युक्तियुक्तकरण नीति से बढ़ रहा पालकों का विश्वास

रायपुर  । राज्य शासन द्वारा चलाए गए युक्तियुक्तकरण अंतर्गत राज्य के सभी विद्यालयों में शिक्षकों का समुचित पदस्थापना की गई। जहां पहले एकल शिक्षकीय स्कूलो में एक शिक्षक को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। वहीं अब शिक्षकों की पदस्थापना से परिवर्तन आया है। इसी क्रम में माध्यमिक शाला डुमरखोली में भी सकारात्मक बदलाव नज़र आ रहा है। युक्तियुक्तकरण के तहत विद्यालय में एक प्रधान पाठक और एक विषय शिक्षक की नियुक्ति की गई। इस पहल से न केवल विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था में सुधार हुआ, बल्कि शिक्षा के प्रति अभिभावकों का विश्वास भी बढ़ा है।
बलरामपुर जिले के विकासखंड कुसमी अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला डुमरखोली जहां एक समय पर केवल एक शिक्षक ही कार्यरत थे, लेकिन आज वह विद्यालय परिवर्तन और नवाचार का पर्याय बन चुका है। डुमरखोली एक सुदूर वनांचल ग्राम है, जहां शिक्षा की पहुंच कई वर्षों तक सीमित रही। विद्यालय में लंबे समय तक केवल एक शिक्षक कार्यरत थे, जिन्हें प्रधान पाठक और विषय शिक्षक की दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी। एकल शिक्षक को शिक्षण के साथ-साथ स्कूल का प्रबंधन, बच्चों की उपस्थिति, शाला प्रवेश उत्सव, मिड-डे-मील व्यवस्था और विद्यालय से संबंधित सभी प्रशासनिक कार्यों का अकेले ही निर्वहन करना पड़ता था। एक शिक्षक और कई जिम्मेदारियों निभानी पड़ती थी। इस दौरान छात्र संख्या में गिरावट आने लगी कई छात्र स्कूल छोड़ने लगे। शिक्षकों की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बच्चे वंचित थे।

पहले जहां स्कूल में कुछ गिने-चुने बच्चे ही स्कूल में पढ़ाई के प्रति रूचि दिखाते थे, लेकिन अब शिक्षकों के आ जाने से बच्चों के उपस्थिति में भी बढ़ोतरी हुई है। डुमरखोली स्कूल में इस शैक्षणिक सत्र में लगभग 56 बच्चों ने दाखिला लिया है। शिक्षकों और पालकों की सहभागीता से बच्चे अपनी शत प्रतिशत अपनी उपस्थिति भी दर्ज करा रहे हैं। विद्यालय में आए नए शिक्षकों के द्वारा रचनात्मक गतिविधियों, प्रायोगिक शिक्षण दे कर विद्यार्थियों की रुचि को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे बच्चों में आत्मविश्वास भी बढ़ा है। पहले जो बच्चे कक्षा में बोलने से कतराते थे, अब विभिन्न स्कूली गतिविधियों में सम्मिलित हो रहे है। शिक्षकगण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहारिक समस्याओं और कैरियर काउंसलिंग पर भी ध्यान दे रहे हैं। इस तरह युक्तियुक्तकरण के तहत बेहतर शिक्षा व्यवस्था के साथ समृद्ध शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहा है।

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