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सरकारी कर्मचारियों के लिए शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश की मिली छूट, इंट्राडे ट्रेडिंग पर रहेगी रोक

सरकारी कर्मचारियों के लिए संशोधित आचरण नियम लागू, वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम रायपुर, 2 जुलाई 2025।  छत्तीसगढ़ सरका...



सरकारी कर्मचारियों के लिए संशोधित आचरण नियम लागू, वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम

रायपुर, 2 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के शासकीय सेवकों को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में संशोधन अधिसूचित किया है। इस संशोधन के तहत अब सरकारी कर्मचारियों को शेयर बाजार, प्रतिभूतियों, डिबेंचर्स और म्युचुअल फंड में निवेश की अनुमति मिल गई है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार यह अनुमति भारत सरकार के नियमों के अनुरूप दी गई है, ताकि सरकारी कर्मियों को भी पूंजी बाजार में निवेश का अवसर मिल सके।

हालांकि, अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि केवल लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट (दीर्घकालिक निवेश) की अनुमति दी गई है। इंट्राडे ट्रेडिंग, बीटीएसटी (Buy Today Sell Tomorrow), फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) और क्रिप्टोकरेंसी जैसी अस्थिर, जोखिमपूर्ण और अटकल आधारित गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहेगा।

क्या है संशोधन का उद्देश्य
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह संशोधन नियम 19 में नया उप-खण्ड जोड़कर किया गया है। इसका प्रमुख उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय निवेश को नियमित और पारदर्शी बनाना है, ताकि वे अपनी आय को बढ़ाने के साथ-साथ सेवा आचरण की मर्यादा में भी बने रहें।

नए प्रावधानों के तहत सरकारी कर्मचारी अब अपनी वैध बचत से रजिस्टर्ड ब्रोकर्स या फंड हाउस के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, बशर्ते यह गतिविधि स्पेक्युलेटिव न हो और इससे उनकी सरकारी सेवाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

इंट्राडे और क्रिप्टो पर क्यों रोक?
अधिसूचना में यह तर्क दिया गया है कि इंट्राडे ट्रेडिंग, फ्यूचर एंड ऑप्शंस या क्रिप्टो जैसे प्लेटफॉर्म अत्यधिक जोखिम वाले और सट्टा प्रकृति के होते हैं, जिसमें अचानक नुकसान की संभावना अधिक रहती है। इसके साथ ही, इन गतिविधियों में लिप्तता सरकारी कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों से विचलित कर सकती है, जो कि सेवा आचरण के सिद्धांतों के खिलाफ है।

पारदर्शिता के लिए आवश्यक खुलासा
संशोधित नियमों के अनुसार सरकारी सेवकों को एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक निवेश के बारे में विभाग को सूचित करना आवश्यक होगा, ताकि इन्वेस्टमेंट में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रकार का लाभ उठाने के लिए सरकारी पद का दुरुपयोग न किया जाए।

विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक संतुलित कदम है। इससे जहां उन्हें पूंजी बाजार के जरिए वैल्थ क्रिएशन का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर अति जोखिम वाली गतिविधियों पर रोक से अनुशासन और सेवा की गरिमा भी बनी रहेगी।

क्या कहता है केंद्र सरकार का नियम
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पहले ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ऐसे निवेश की अनुमति दे रखी है, बशर्ते वे अटकल आधारित ट्रेडिंग से दूर रहें। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया गया यह संशोधन उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार का रुख स्पष्ट
राज्य सरकार की ओर से यह संकेत स्पष्ट रूप से दिया गया है कि वह अपने कर्मचारियों के वित्तीय हितों को लेकर सजग है, लेकिन इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सरकारी सेवाएं और जवाबदेही किसी भी प्रकार से प्रभावित न हों।

अब क्या करना होगा कर्मचारियों को
इस अधिसूचना के बाद अब राज्य के लाखों शासकीय कर्मचारी निवेश की योजना बना सकते हैं, लेकिन उन्हें निवेश से पूर्व यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल सेबी द्वारा अनुमोदित माध्यमों के जरिए ही निवेश करें, और किसी भी सट्टा गतिविधि से दूर रहें।


छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय एक तरफ सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया सार्थक और प्रगतिशील कदम है, वहीं दूसरी ओर नैतिकता और पारदर्शिता बनाए रखने की गारंटी भी।

सरकारी सेवा में रहते हुए निवेश को लेकर यह स्पष्ट दिशानिर्देश आने से जहां भ्रम की स्थिति समाप्त होगी, वहीं कर्मचारियों के लिए वित्तीय नियोजन का रास्ता भी खुलेगा।


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