नागरिकों में पर्यावरण संतुलन के प्रति उत्तरदायित्व की भावना समय की जरूरत पर्यावरण संतुलन की चिंता के प्रति हर नागरिक संवेदनशील हो राज्यप...
नागरिकों में पर्यावरण संतुलन के प्रति उत्तरदायित्व की भावना समय की जरूरत
पर्यावरण संतुलन की चिंता के प्रति हर नागरिक संवेदनशील हो
राज्यपाल ने एप्को की 13वीं साधारण सभा की बैठक को किया संबोधित
भोपाल
: राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जन सहभागिता के लिए नवाचार और
नई सोच के साथ प्रयास किए जाने चाहिए। पर्यावरण संतुलन के लिए
अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर पर लम्बे समय से काफी चिंतन हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग अभी भी चुनौती बनी हुई है। आज आवश्यकता
है कि हर व्यक्ति को पर्यावरण संतुलन के प्रति उत्तरदायी बनाने के समन्वित
प्रयास किये जायें। पर्यावरण संतुलन की चिंता के प्रति समाज संवेदनशील हो।
सामाजिक वातावरण हर व्यक्ति, समुदाय को पर्यावरण संतुलन के लिए सजग और
सक्रिय बनाने वाला हो। बच्चे, बड़े सभी के दिल और दिमाग में अंकित हो कि
पर्यावरण संतुलन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या किया जाना चाहिए, क्या
नहीं किया जाना है।
राज्यपाल श्री पटेल राजभवन के सांदीपनि सभागार
में पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन एप्को की 13वीं साधारण सभा की बैठक
को संबोधित कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य
सचिव, जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री के.
सी. गुप्ता भी मौजूद थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सरकार के
कार्यक्रमों में जन चेतना के जुड़ जाने की सफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण इंदौर
शहर है। लगातार 7 बार से देश का सबसे स्वच्छतम नगर की उपलब्धि नगर निगम के
एकल प्रयासों का परिणाम नहीं है। यह नगर निगम और इंदौर के नागरिकों के
सहभागी प्रयासों का प्रतिफल है। नागरिकों का स्वच्छता आग्रह और स्वच्छता के
प्रति जन चेतना की सक्रियता का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने गुजरात के
कच्छ इलाके के ग्रामीण विद्यालय के शिक्षक दम्पती की छोटी सी पहल से होने
वाले बड़े बदलाव का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि शिक्षक दम्पती ने नई सोच
के साथ विद्यालय के वीरान परिसर में पौध-रोपण शुरू किया। विद्यालय के
समस्त विद्यार्थियों को पौधे उपलब्ध कराये और परिसर में पौध-रोपण कराया।
बच्चों से कहा कि जब वे स्कूल आए तो घर में सब्जियों को धोने वाले पानी को
किसी डब्बे अथवा बोतल में लेकर आए। उनके द्वारा लगाए गए पौधे में वही पानी
डाल दे। इस नई सोच ने कच्छ जैसे सूखे इलाके के विद्यालय के परिसर को हरा
भरा करने का करिश्मा कर दिया है।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि समाज
में बच्चों की वित्तीय सुरक्षा के लिए बैंकों में धन राशि जमा करते हैं।
यह नहीं समझते कि यदि पर्यावरण नहीं रहेगा तो जीवन ही नहीं रहेगा। इस लिए
संतान के भावी जीवन की वित्तीय सुरक्षा की चिंता से ज्यादा जरूरी पर्यावरण
संतुलन की चिंता है। उन्होंने पर्यावरण संतुलन की चिंता को समाज की
सर्वोच्च चिंता बनाने की दिशा में पहल की जरूरत बताई है। उन्होंने मिशन
लाईफ और जलवायु परिवर्तन विषय पर प्रशिक्षित युवाओं से उनके द्वारा किए गए
कार्यों की जानकारी प्राप्त किए जाने के लिए कहा है। उन्होंने नदियों के
आस-पास के उद्योगों और बस्तियों के कचरा निष्पादन प्रणालियों की गहन
निगरानी की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को बढ़ाने और अनदेखी के
मामलो में कड़ी कार्रवाई अत्यधिक गंभीरता के साथ की जाना चाहिए।
मुख्य
सचिव श्री अनुराग जैन ने बताया कि प्रदेश में जल गंगा अभियान के तहत
पौध-रोपण कार्य के लिए वन विभाग को नोडल बनाकर कार्य किए जा रहे है। यह
निर्णय किया गया है कि नर्सरी में तीन-चार वर्ष के तैयार पौधों का ही रोपण
किया जाए। प्रदेश में आगामी दो-तीन वर्षों में शत प्रतिशत बड़े पौधों का
रोपण होने लगेगा। उन्होंने अधिकारियों को एस.एल.सी.टी.सी. के तहत किए जा
रहे कार्यों की मॉनिटरिंग रिपोर्ट राजभवन को नियमित अंतराल पर प्रस्तुत
करने के निर्देश दिए है।
अपर मुख्य सचिव श्री डॉ. राजेश राजौरा ने
बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा कान्ह नदी के दूषित जल के डायवर्जन हेतु
कान्ह क्लोज डक्ट डायवर्जन प्रोजेक्ट के तहत 30 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया
है। क्षिप्रा नदी को अविरल-निर्मल बनाए जाने का कार्य भी प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि देश की सबसे सुरक्षित चंबल नदी की सुरक्षा के लिए
पार्वती कालीसिंध परियोजना में प्रावधान किए गए है। बेतवा नदी के जल प्रवाह
को बढ़ाने और सोन नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के कार्य भी किए जा रहे है।
इस
अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यावरण डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, सचिव जल संसाधन श्री
जॉन किंग्सली, सचिव वित्त श्री लोकेश कुमार जाटव, सचिव वन श्री अतुल
मिश्रा, आयुक्त नगर तथा ग्राम निवेश श्री श्रीकांत बनोठ, आयुक्त मनरेगा
श्री अविप्रसाद, पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन कार्यपालक निर्देशक
श्रीमती उमा माहेश्वरी और साधारण सभा के सदस्यगण, विशेषज्ञ उपस्थित थे।
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