रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में भाजपा किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है। इससे गुटबाजी से भी बचा जा सकेगा। बीजेपी ऐसे उम्मीदवार को ...
रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में भाजपा किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है। इससे गुटबाजी से भी बचा जा सकेगा। बीजेपी ऐसे उम्मीदवार को मौका दे सकती है जिसको सहकारिता के क्षेत्र में अच्छी जानकारी हो। इसमें भाजपा रायपुर जिला सहकारिता प्रकोष्ठ की संयोजक नीलम सिंह के नाम पर विचार कर सकती है, क्योंकि उन्हें सहकारिता के क्षेत्र का अनुभव भी है, वो बेदाग व बेबाक भी हैं और भाजपा को उनके महिला होने का लाभ भी मिलेगा। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेता अशोक बजाज जिन्हें अपेक्स बैंक का कार्य अनुभव है उनको भी मौका मिल सकता है। वैसे सूत्रों की मानें तो भाजपा किसी गैरराजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए समाजसेवी, पत्रकार, डॉक्टर या वकील जैसे बुद्धि जीवी व्यक्ति की भी खोज कर रही है।
जानिए कौन हैं नीलम सिंह
नीलम सिंह वर्तमान में रायपुर जिला सहकारिता प्रकोष्ठ की संयोजक हैं। उन्होंने संघ द्वारा संचालित दुर्गा वाहिनी स्वदेशी जन जागरण मंच में सदस्य के रूप में सेवा दी हैं। 2000 से वे भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं। वे महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष, महिला मोरटा है मोर्चा की जिला कार्यालय मंत्री, जिला मंत्री महिला मोर्चा, भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की जिला सदस्य रहीं हैं।
1993 तक 1997 आरटीआई को ऑपरेटिव सोसायटी दुर्ग में मैनेजर भी रह चुकी हैं। वे 1998 से 1999 तक स्कूल में टीचर भी रही हैं।
बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने से खाली हुई है सीट
बृजमोहन अग्रवाल बीजेपी के क़द्दावर नेता हैं, जिनका समर्थक प्रदेशभर में है। इसी कारण केंद्र में बीजेपी की दस साल से सरकार होने के कारण राष्ट्रीय नेतृत्व को एंटीइनकम्बैंसी से बचने के लिए बृजमोहन अग्रवाल को प्रदेश के लोकसभा चुनाव में उतारा गया। लोकसभा का चुनाव परिणाम भी प्रदेश में अपेक्षा अनुरूप रहा। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट ख़ाली हो गई है। सूत्रों से जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय नेतृत्व इस विधानसभा से सहकारिता के अच्छे जानकार को प्रत्याशी बनाने जा रही है क्योंकि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में सहकारिता के माध्यम से छत्तीसगढ़ में आर्थिक समृद्धि लाना चाह रही है। वर्तमान प्रदेश नेतृत्व में कोई भी सहकारिता के अच्छे जानकार विधानसभा में नहीं है। सहकारिता मंत्री केदार कश्यप को भी करना तो अधिकारियों के मार्गदर्शन में का करना पड़ रहा है, क्योंकि वे भी सहकारिता के जानकार नहीं हैं। सहकारिता का अपना बड़ा व्यापक क्षेत्र है जिसको इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता ही समझ पाते हैं । राष्ट्रीय संगठन का मानना है कि अधिकारियों के भरोसे ही प्रदेश में सहकारिता में लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा से सहकारिता के जानकार को विधानसभा में प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही है, जिससे दक्षिण विधानसभा में जीतने वाले नव निर्वाचित विधायक को संसदीय सचिव बना कर केदार कश्यप को सहकारिता के क्षेत्र में मदद कर सके और प्रदेश में सहकारिता में अच्छा काम हो सके।
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