Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE
Monday, July 14

Pages

Classic Header

Top Ad

ब्रेकिंग :

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

ऊंगलियों की दिखाई स्याही और आधे टिकट में घूमा चिड़ियाघर

 बिलासपुर। बुधवार का दिन कानन पेंडारी जू पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए खास रहा। खास इसलिए क्योंकि सैर करने के लिए पूरा शुल्क नहीं देना पड़ा।...

 बिलासपुर। बुधवार का दिन कानन पेंडारी जू पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए खास रहा। खास इसलिए क्योंकि सैर करने के लिए पूरा शुल्क नहीं देना पड़ा। केवल ऊंगलियों पर लगी अमिट स्याही का निशान दिखाया। इसके बाद उनसे 50 प्रतिशत ही शुल्क लेकर प्रवेश की अनुमति दे दी गई। ऐसे 247 पर्यटक थे, जिन्होंने मतदान करने की सूचना दी और छूट का लाभ लिया। मतदान जरूरी है। इस अधिकार का उपयोग हर एक मतदाता को करना चाहिए। शत-प्रतिशत मतदान हो सके, इसके लिए हर किसी ने अपने- अपने स्तर पर प्रयास किया। कानन पेंडारी जू प्रबंधन ने भी अच्छी पहल की। उन्होंने मतदान के एक दो दिन पहले यह घोषणा कर दी थी कि आठ मई यानी बुधवार को उन पर्यटकों से 50 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा, जिन्होंने अपने मताधिकार का उपयोग किया है। जू प्रबंधन के इस निर्णय की प्रशंसा भी हुई। दरअसल जू प्रबंधन ने पहली बार मतदान को लेकर यह नवाचार किया। मुख्य द्वार पर बाकायदा यह सूचना भी चस्पा की गई थी। यही कारण है कि कुछ पर्यटकों को बुधवार को ही छूट की जानकारी मिली। इसके बिना विलंब किए उन्होंने ऊंगलियों पर लगी स्याही के निशान दिखाए। इसके बाद काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने उनसे केवल 10 रुपये ही प्रवेश शुल्क लिया। जू में वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रुपये निर्धारित है। सामान्य दिनों में इतना ही शुल्क लिया जाता है और बच्चों से 10 रुपये प्रवेश शुल्क लेने का नियम है। बच्चों से तो इतना शुल्क लिया गया। लेकिन, वयस्कों को मतदान करने की जानकारी देने के बाद आधा शुल्क लिया गया। इस छूट से पर्यटक प्रसन्न भी नजर आए। जिन पर्यटकों को छूट दिया गया, उनमें 115 महिला और 132 पुरुष शामिल हैं। 

No comments

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मलेरिया पर करारा प...

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर क...

मुख्यमंत्री से जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने की सौजन्य मुलाका...

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल से ‘श्री रामलला दर्शन योजन...

वैश्विक टेक्सटाइल हब के रूप में मध्यप्रदेश को स्थापित करने क...

छत्तीसगढ़ में मलेरिया पर करारा प्रहार

छत्तीसगढ़ में खाद की कोई कमी नहीं

परंपरागत से आधुनिक खेती की ओर: लालसुहनार के साधूराम की कहानी...

बस्तर संभाग में समितियों से 58159 मैट्रिक टन खाद एवं 33062 क...

75 आदिवासी महिला किसानों को दी गई दुधारू गायें