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पूर्व सीएम बघेल, राज्यपाल रमेश बैस भी की राजनीतिक जीवन की शुरुआत

   रायपुर। आजादी के बाद राजधानी का साइंस कालेज शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। आजादी के संघर्ष को अपनी आंखों से देख चुके कई युवा यहां...

 

 रायपुर। आजादी के बाद राजधानी का साइंस कालेज शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। आजादी के संघर्ष को अपनी आंखों से देख चुके कई युवा यहां अध्ययन किए। 1948 में स्थापित इस कालेज में नेताओं के साथ कई बलिदानी पढ़कर निकले जिन्होंने देश और राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यहां से पढ़कर ऐसा नेता निकले जो आगे चलकर मुख्यमंत्री, केद्रीय मंत्री से लेकर राज्यपाल के पद तक सफर तय किया। ऐसा कहा जा सकता है कि कालेज में पढ़ने वाले छात्रों में राष्ट्र सेवा का गुण विद्यमान रहता है। महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ लक्ष्मी नारायण इंदुजा, विक्रम उसेंडी, डा. रमेश अग्रवाल सहित अन्य राजनीति के बड़े चेहरों ने इसी कालेज से अपनी शिक्षा पूरी की। रमेश बैस पहली बार 1989 में रायपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। वे 7 बार सांसद रहे। इस दाैरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद की भी जिम्मेदारी भी संभाली। 2019 में उन्हें त्रिपूरा के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई। झारखंड के बाद वे वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल है। वे प्रदेश के एकमात्र ऐसा नेता है जो तीन राज्यों के राज्यपाल बनाए जा चुके हैं।  22 साल की उम्र से ही कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की राजनीतिक करियर की शुरुआत हो गई थी। 23 अगस्त 1961 को दुर्ग में जन्मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में कांग्रेस से सियासी पारी शुरू की थी। साइंस कालेज में पढ़ाई की। 1993 में पहली बार चुनाव लड़े, 1998 पहली बार में विधायक चुने गए। 2018 में मुख्यमंत्री बनें। राज्य सहित देश के कांग्रेस नेताओं में भूपेश बघेल बड़ा चेहरा माना जाता है। यहीं कारण है कि उन्हें पहली बार राजनांदगांव से पार्टी ने सांसद उम्मीदवार बनाया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व मंत्री पद संभाल चुके वर्तमान अंतागढ़ विधायक विक्रम उसेंडी ने साइंस कालेज से ही बीएसी मे स्नातक की पढ़ाई की। लक्ष्मी नारायण इंदुरिया, चंद्र शेखर साहू, विधान मिश्रा, रमेश अग्रवाल, कनक तिवारी, आर एस शर्मा, चुन्नीलाल साहू, डा. रमेश अग्रवाल सहित और भी बड़े राजनीति के चेहरों ने साइंस कालेज में अपनी शिक्षा पूरी की।

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