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जालसाज 50 से अधिक पुलिसकर्मियों से कर रहा था अड़ीबाजी, क्राइम ब्रांच ने दबोचा

भोपाल । क्राइम ब्रांच की टीम ने एक ऐसे सिरफिरे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो डीजीपी कार्यालय का अफसर बनकर पुलिस के दारोगा स्तर के अधिकारियों ...

भोपाल । क्राइम ब्रांच की टीम ने एक ऐसे सिरफिरे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो डीजीपी कार्यालय का अफसर बनकर पुलिस के दारोगा स्तर के अधिकारियों को फोन पर धमकाते हुए रुपयों की मांग करता था। महज पांचवी तक पढ़ा युवक पहले भी धोखाधड़ी के मामले में रीवा में जेल की हवा खा चुका है। अभी तक वह 50 से अधिक पुलिस कर्मचारियों के साथ अड़ीबाजी कर चुका है। इनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। इंदौर की एक महिला उपिनरीक्षक की शिकायत पर उसे भोपाल में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपित से पूछताछ की जा रही है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि एक महिला एसआइ ने शिकायत दर्ज कराई थी। उसमें बताया कि एक व्यक्त खुद को पुलिस अफसर बताते हुए सस्पेंड करने व स्थानांतरण करवाने के लिए पैसों की मांग कर रहा। धोखाधड़ी, अड़ीबाजी का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरु की गई। पता चला कि जिस नंबर से फोन किए गए, वह सिम रीवा के पनवार थाना इलाके के ग्राम औभरी निवासी बुद्धसेन मिश्रा के नाम पर जारी हुई है। पुलिस अलग-अलग लोकेशन मिलने पर रीवा, छिंदवाड़ा, कोरबा, इलाहाबाद भी गई। हाल ही में बुद्धसेन की लोकेशन निशातपुरा क्षेत्र में मिली। पुलिस ने उसकी घेराबंदी की तो वह नाले में कूद गया। वहां से उसे बाहर निकालकर हिरासत में ले लिया गया। उसके पास से दो मोबाइल फोन और तीन सिम बरामद की गई हैं। 29 वर्ष का बुद्धसेन सिर्फ पांचवी तक पढ़ा है। पूछताछ में पता चला है कि वह अभी तक 50 पुलिस के लोगों को रुपये मांगने के लिए धमका चुका था, लेकिन किसी ने उसे पैसे नहीं दिए।बुद्धसेन इंदौर की होटल गुरुकृपा में गार्ड का काम करता था। वह पुलिस अधिकारियों के वाहन में लगे वायरलेस सेट से पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे मे सुनता रहता था। उसने पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम पर कर्मचारियों को डरा-धमकाकर उनसे पैसो की मांग करने की साजिश रचना शुरू की। वह गूगल से सभी पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर प्राप्त करके जिले में पदस्थ एसआरसी बाबू का नम्बर हासिल कर लेता था। इसके बाद कार्यालय में स्थानांतरण के आवेदन का पता लगाकर संबंधित थाने के दारोगा को फोन कर उसके अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी को उससे संपर्क करने करने का आदेश देता था। विभागीय शिकायत की जानकारी लेकर भी वह संबंधित अधिकारी-कर्मचारी से रुपये की मांग करता था। रुपये नहीं मिलने पर सस्पेंड करने की धमकी भी देता था।

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