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34करोड़ खर्च करने के बाद भी बूढ़ा तालाब सिर्फ बर्बाद,आखिर क्यों: कोमल हुपेंडी

स्मार्ट स्कूल के ढांचे ने किया आमापारा स्कूल का बेड़ागर्क ऐसा भरा बारिश पानी कि बाल्टी से फेंकना पड़ा रायपुर । स्मार्ट स्कूल के ढांचे ने किय...


स्मार्ट स्कूल के ढांचे ने किया आमापारा स्कूल का बेड़ागर्क ऐसा भरा बारिश पानी कि बाल्टी से फेंकना पड़ा

रायपुर । स्मार्ट स्कूल के ढांचे ने किया आमापारा स्कूल का बेड़ागर्क ऐसा भरा बारिश का पानी कि बाल्टी से फेंकना पड़ा,ऐसा बेतुका निर्माण की बारिश में रोज भर रहा गंदा पानी। स्मार्ट सिटी के नाम पर स्कूल में सब बच्चे परेशान हो रहे है।दिल्ली सरकार की ईमानदार शिक्षा नीति और स्कूल की नकल कर लेने से बच्चों का भला नहीं होना, कौन बताएगा कांग्रेस शासित नगर निगम और भूपेश सरकार को, अब २०२३ में जनता ही इनका हिसाब करेगी।
यहां ही नहीं रुकते हमारे  विकास के कार्य, बूढ़ा तालाब के विकास में पिछले दो साल में ही 34 करोड़ खर्च, नतीजा बर्बादी के अलावा कुछ नही ऐसा कैसा खर्च है जन साधारण को जो न ढंग से नजर आता है और न ही समझ ?

बूढ़ा तालाब के नेहरू नगर, कालीबाड़ी और पुलिस लाइन कहे जाने वाले इलाका कभी बूढ़ा तालाब का किनारा हुआ करते थे। बीचोबीच टापू और इसके आसपास खिले सैकड़ों कमल के फूलों में इस तालाब की खूबसूरती दमकती थी। 40 साल पहले तक भी यह तालाब इतना साफ था कि लोग न सिर्फ नहाने आते थे, बल्कि इसके पानी से आसपास के सैकड़ों घरों में दाल-चावल गला करती थी। सघन होते शहर के साथ तालाब भी सिमटता गया। घर-दुकान के कचरों और नालियों के पानी ने इसे गंदा कर दिया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। पूर्ववर्ती सरकार ने इसकी सुंदरता और लोगों की सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए न सुंदरता बढ़ी, न लोगों को सुविधा मिली। अब यही खेल दोबारा खेला जा रहा है। 2020 से अब तक स्मार्ट सिटी फंड और नगर निगम की ओर से बूढ़ा तालाब के नाम पर 34 करोड़  का टेंडर जारी किया जा चुका है। फिर भी
इस तालाब की बदहाली किसी से छिपी
नहीं है। उल्टे भ्रष्टाचार की भी बू आने लगी है। प्राचीन बूढ़ातालाब का उद्धार करने के नाम पर स्मार्ट सिटी ने 34 करोड़ रुपए का बंटाधार कर दिया है। विकास और सौंदर्यीकरण के लिए यहां 2 साल में खर्च किए गए पैसे कहां गए? न तो ढंग से नजर आता है और न ही समझ। हां, जो कुछ दिखता है वहां खामियां ही खामियां हैं।

बूढ़ातालाब की बदहाली बयां करती है ये खामियां आखिर क्यों ?? यदि राजधानी के बीचों बीच शासन के भ्रष्टाचार की बू आ रही है और विपक्ष भी चुप चाप मूक दर्शक बन अनभिज्ञ बना बैठा है तो यह दर्शाता है कि भाजपा कांग्रेस भाई भाई है।

50 लाख का जेटी बना हुआ है शो पीस, तालाब के बीच स्थित नीलाभ गार्डन तक पहुंचने के लिए पत्थर-मिट्टी और कॉन्क्रीट का एक सेतु पहले से ही है। स्मार्ट सिटी ने 2 साल पहले 50 लाख रुपए खर्च कर दूसरी ओर प्लास्टिक का नया पुल (जेटी) बना, आज तक समझ नहीं आया ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर चलना मना है। बकायदा बोर्ड भी लगवाया गया है कि बिना अनुमति प्रदेश वर्जित है। बगल से भी गुजरे तो जेटी जोर से हिलने लगती है। मतलब कोई इस पर चढ़ा होगा तो तालाब में गिरकर डूब सकता है।

फाउंटेन भी ऐसा कि म्यूजिक का पानी से तालमेल ही नहीं हाल ही में लगा म्यूजिकल फाउंटेन स्मार्ट सिटी के नाम पर ठगी का सबसे बड़ा उदाहरण है। वो इसलिए क्योंकि यहां म्यूजिक की ताल और फाउंटेन से निकलने काले  पानी के ताल में कोई मेल नहीं  है। यानी म्यूजिकल तो हो गया है पर इससे पहले नीलाभ गार्डन में सवा 2 करोड़ से लगा म्यूजिकल फाउंटेन जरूर असली था मेंटेनेंस के अभाव में वह भी कबाड़ हो गया था। सौंदर्यीकरण के लिए इस फाउंटेन को ही हटा दिया गया।

वाई-फाई भी हफ्तों से ठप है स्मार्ट सिटी के दावों के मुताबिक अगर आप बूढ़ातालाब में फ्री ई-फाई मजा लेने चले गए तो निराश होकर लौटना पड़ेगा। गार्डन में आपको कहीं भी वाई फाई कनेक्टिविटी नहीं मिलेगी। पूरा सिस्टम ठप पड़ा है। जिम्मेदारों से पूछने पर कहते हैं कि जो लोग घूमने आते हैं. वही यहां तोड़फोड़ भी करते हैं। अब इसमें भी बड़ा प्रश्न यही है कि जब जिम्मेदारों को इस बारे में पहले से है तो सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए जाते?

पेवर ब्लॉक 6 माह में उखड़ा 35 लाख फूंक चुके है।पहले से बने सेतु के नाम पर भी कम भ्रष्टाचार नहीं किया गया। करीब 10 माह पहले 35 लाख की लागत से लगा पेवर पहले ही उखाड़ दिया गया। ठीक से पूरा भी नही लगा था कैसे निर्माण की परते खुलती है ये शहर में उदाहरण है।  अभी से पेवर की परते खुलने लगा है। इन उबड़-खाबड़ रास्तो पर आपको जरा संभलकर चलने की जरूरत है। पैर किसी गड्ढे में आ गया तो सैर-सपाटा काफुर हो जायेगा।आपके लिए सजा भी बन सकता है। टॉयलेट चले जाइए। उल्टी कर देंगे। 

बिजली के तार झूल रहे, करंट का खतरा
बारिश के दिनों में सुबह-सवेरे शाम को नीलाभ गार्डन के सैर-सपर्ट पर निकले से अपने हाथ-पैर का ध्यान रखिए। ज्यादातर लाइट से वायर अलग होकर खुले में झूल रहे हैं। कई पावर बोर्ड का भी यही हाल है। बारिश के दिनों में खतरा और भी बढ़ गया है। जिम्मेदारों की यह लोगों की जान पर भी भारी पड़ सकत है।
कुर्सियां जमीन पर इसलिए बैठने को भी तरस जाएंगे बड़ी सुविधाओं की बात छोड़ ही दीजिए, यहां तो मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। पहले 5 मिनट पैदल बाहर आना होगा। मुख्य प्रवेश द्वार के पास के लेट-बाथ भूलकर भी मत खोलिएग क्योंकि अंदर का नजारा देखने के बाद आपको उल्टी भी आ सकती है। इसकी गाड़ी पकड़ए और घर जाइए। 
बूढ़ातालाब को स्मार्ट बनाने के लिए अब तक जितने प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा चुका है, उनका हाल तो आपने  लिया। कई प्रोजेक्ट अब भी अधूरे है जिन पर काम चल रहा है या होना है। वहीं बोट हाउस और दुकान वगैरह खोलने के लिए दानी गर्ल्स स्कूल के लिए निविदा जारी करेंगे। अब भी अधूरे....परिसर की और नई बिल्डिंग बनाने जैसे कई प्रोजेक्ट पर अभी काम शुरू नहीं हो सका है।

कोमल हुपेंडी ने पूरे बूढ़ातालाब का अवलोकन करते हुए  कहा कि भाजपा और कांग्रेस के भ्रष्टाचार के मिलीभगत का खेल छत्तीसगढ़ वासियों के सामने है।आम जन के समक्ष उनके चेहरे पर से प्रदेश के हित के लिए सोचने का सफेद पोश  नकाब उतर गया है। प्रदेश की भाजपा और कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार कर पिछले 22सालो में खूब लूटा है और  जनता को लचर स्कूल और भ्रष्ट सिस्टम और नाम की मूल भूत सुविधा  मात्र खानापूर्ति और दिखावा कर बदहाल रखा है। आम आदमी पार्टी अब जनता के साथ  ये अन्याय नहीं होने देगी और जनता से आवाह्न करती है कि आम आदमी पार्टी को सहयोग कर इनके भ्रष्टाचार की पोल खोल अभियान को गति प्रदान करे और 2023 में भाजपा और कांग्रेस के भ्रष्ट शासन को उखाड़ फेंके।

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