हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने जारी किए आदेश, रोस्टर के अनुसार अलग-अलग बेंच निर्धारित होगी रायपुर। बढ़ते कोरोना संक्रमण का साया एक बार फिर हाईको...
हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने जारी किए आदेश, रोस्टर के अनुसार अलग-अलग बेंच निर्धारित होगी
रायपुर। बढ़ते कोरोना संक्रमण का साया एक बार फिर हाईकोर्ट और निचली अदालतों में होने वाली सुनवाई पर पड़ा है। हाईकोर्ट में अब बुधवार से मामलों की सुनवाई वर्चुअल यानी आनलाइन होगी। हाईकोर्ट परिसर में भीड़ को नि
यंत्रित रखने के लिए कहा गया कि अधिवक्ता भी तभी आएं, जब उनके मामले की सुनवाई हो या केस फाइल करना हो। वहीं निचली अदालतों में भी मंगलवार से रोटेशन के आधार पर सुनवाई होगी। बिलासपुर हाईकोर्ट में रोस्टर के तहत आवश्यकता के अनुसार, चीफ जस्टिस की ओर से सुनवाई के लिए अलग-अलग बेंच निर्धारित की जाएगी। वहीं काउंटर के माध्यम से नई फाइलिंग यानी नई याचिकाएं और अपील दायर की जा सकेंगी। किसी विशेष बेंच के समक्ष सूचीबद्ध होने वाले मामलों की संख्या संबंधित बेंच की ओर से ही तय होगी। मामले की तत्काल सूची के लिए उल्लेख पर्ची न्यायिक रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या भी होगी न्यूनतम
हाईकोर्ट ने भीड़ से बचने के लिए अधिवक्ताओं से भी अपील की है। रजिस्ट्रार जनरल की ओर से कहा गया है कि अधिवक्ता कोर्ट परिसर में तभी आएं, जब उन्हें याचिकाएं लगानी हो या फिर या उनका कोई मामला किसी कोर्ट में सूचीबद्ध हो। वहीं अधिकारियों और कर्मचारियों की भी न्यूनतम संख्या रखने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि संख्या और जरूरत को देखते हुए इसका निर्णय अनुभाग और प्रशासन के प्रमुख करेंगे।
सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही होंगे काम
बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर जिला कोर्ट में मंगलवार (6 अप्रैल) से रोटेशन के आधार पर मामलों की सुनवाई होगी।
जिला और सत्र न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विशेष न्यायाधीश (औद्योगिक न्यायालय), (श्रम न्यायालय) में नए मामलों की फाइलिंग जारी रहेगी।
बिलासपुर समेत दुर्ग, रायपुर जिला न्यायालय में उच्च न्यायिक सेवा के दो और निम्न न्यायिक सेवा के 4 कोर्ट ही रोटेशन के आधार पर सुनवाई करेंगे।
अन्य जगहों में 50 उच्च न्यायिक सेवा और 50 निम्न न्यायिक सेवा के कोर्ट को रोटेशन के आधार पर कार्य करने की अनुमति दी गई है।
निचली अदालतों में सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक ही मामलों की सुनवाई होगी। जमानत और रिमांड मामलों में कोर्ट पूर्व निर्धारित समय तक खुले रहेंगे।
सुनवाई के लिए केसों की संख्या कोर्ट तय करेंगे। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि कम से कम भीड़ हो। कम से कम स्टाफ हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए।
कंटनमेंट जोन में आने पर सिर्फ अर्जेंट केसों की होगी सुनवाई
कोर्ट परिसर या क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता है तो कोर्ट कम से कम स्टाफ और रोटेशन के आधार पर काम करेंगे। ऐसे में सिर्फ अर्जेंट केसों की ही सुनवाई होगी, जो कोर्ट तय करेगी। रिमांड और बेल मामलों की सुनवाई में बंद के दौरान कर्मचारी और अफसर वर्क फ्रॉम होम करेंगे। अगर जरूरत होगी तो कोर्ट बुलाया जाएगा। कोई भी अधिकारी और कर्मचारी हेडक्वार्टर नहीं छोड़ सकेगा। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, केंद्र और राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करना होगा।
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