Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE
Sunday, May 25

Pages

Classic Header

Top Ad

ब्रेकिंग :

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

बेटी ने साइकिल से अखबार बेचकर खरीदीं परिवार की खुशियां

कानपुर। केडीए में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मधु शर्मा का संघर्ष बड़ी सीख देता है। पढऩे और खेलने वाली १६ साल की उम्र में ही पिता का साया उठ जाने...


कानपुर। केडीए में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मधु शर्मा का संघर्ष बड़ी सीख देता है। पढऩे और खेलने वाली १६ साल की उम्र में ही पिता का साया उठ जाने के बाद भी मधु ने हार नहीं मानी। साइकिल से अखबार और मैगजीन बेचकर छह लोगों के परिवार का पेट पाला। छोटे भाई-बहनों की खुशी के लिए खुद विवाह नहीं किया। आज भी परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। हर मुश्किल के सामने चट्टान की तरह अडिग हैं। बर्रा-7 निवासी मधु शर्मा के परिवार में पिता, माता, तीन छोटी बहनें और छोटा भाई था। केडीए कर्मचारी पिता गौरी दत्त शर्मा नौकरी के साथ ही अखबार बांटने का भी काम करते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था। सन 1993 में पिता का अचानक निधन हो गया। इसके बाद पूरे परिवार के सामने खाने का संकट खड़ा होने लगा। राशन के कनस्तर खाली हो गए। कभी-कभी चूल्हा तक नहीं जलता था। मगर एक आग मधु के अंदर ही अंदर जल रही थी। वह थी, परिवार के लिए कुछ करने की। मधु मृतक आश्रित में नौकरी के लिए केडीए गई लेकिन इसमें देरी थी। तुरंत नौकरी न मिलते देख मधु ने पिता का अखबार बेचने का काम संभाला। पहले पिता उसे कभी-कभी साइकिल से अपने साथ ले भी जाते थे। मधु ने जब पुराने घरों में जाकर अखबार डालने की बात कही तो पता चला कि वे लोग दूसरे से अखबार लेने लगे हैं। मधु ने कुछ घरों से ही शुरुआत की और धीरे-धीरे इस काम को बढ़ाया। हालांकि छह लोगों के परिवार के लिए यह काफी नहीं था। इसलिए अखबार बेचने के बाद सेंट्रल स्टेशन जाकर दिल्ली से आने वाले अखबार, मैगजीन भी लेकर घर-घर डालने लगी। करीब दो साल बाद केडीए में नौकरी मिली, तब महज १५०० रुपये वेतन था। इसके चलते मधु ने नौकरी लगने के बाद भी कई साल तक अखबार बेचना बंद नहीं किया। भाई-बहनों को पढ़ाया। तीनों बहनों अनीता, मंजू, रानी की शादी की। मधु को एक और बड़ा आघात तब लगा, जब २०१२ में इकलौते भाई विष्णु की मौत हो गई। कुदरत की मार यहीं खत्म नहीं हुई, २०१४ में बहन अनीता का देहांत हो गया और २०१५ में मां लक्ष्मी भी साथ छोड़ गईं। उन्होंने अनीता के बेटे राजकुमार को भी पढ़ाया। वह सिविल की तैयारी कर रहा है। वहीं मंजू भी अब मायके आकर रहने लगी है।

No comments

छत्तीसगढ़ में मेदांता अस्पताल और वरुण बेवरेजेस संयंत्र की स्...

नीति आयोग की बैठक में दिखी आत्मीयता: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र...

मध्यप्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए सरकार संकल्पित: मुख्...

राज्यपाल पटेल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचे

साय ने नीति आयोग से नक्सलवाद के अंत व नई औद्योगिक नीति पर प्...

स्वच्छता की ओर बढ़ते कदम: ज़िले की ग्राम पंचायतों में नियमित...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष मुख्यमंत्री साय का आत्मनि...

लूण्ड्रा एवं मंगारी में सुशासन तिहार के तहत समाधान शिविर का ...

दिव्यांगता पेंशन से बाल कुमारी को मिली नई आशा, सुशासन तिहार ...

छत्तीसगढ़ में योग को जन-जन तक पहुंचाने व्यापक पहल: योग आयोग क...