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अहाता निर्माण में लापरवाही, घटिया सामग्री का इस्तेमाल

गुरूर।  वन विभाग इन दिनों घटिया निर्माण को लेकर घिरा हुआ है। नया मामला अब गुरूर रेंजर कार्यालय का ही सामने आया है। जहां पर दफ्तर के आसपास वि...

गुरूर। 


वन विभाग इन दिनों घटिया निर्माण को लेकर घिरा हुआ है। नया मामला अब गुरूर रेंजर कार्यालय का ही सामने आया है। जहां पर दफ्तर के आसपास विभाग सुरक्षा के लिहाज से अहाता बाउंड्री वाल का निर्माण हो रहा है। पर इस बाउंड्री वॉल के निर्माण में जमकर कोताही बरती जा रही है। यहां पर घटिया निर्माण सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है। जिस पर कोई देखने वाला भी नहीं है। बिना किसी निगरानी व गुणवत्ता के काम हो रहा है। जिसका फायदा वन विभाग के अफसर व संबंधित ठेकेदार भी उठा रहे हैं जब हम मौके का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे तो वहां पर घटिया निर्माण देखने को मिला। कार्यस्थल पर किसी तरह का बोर्ड भी नहीं पाया गया तो वहीं जो इसमें ईंट डाली गई थी वह भी घटिया क्वालिटी की थी। तो वहीं जो रॉड अहाता निर्माण के दौरान लगाई जा रही है वह भी 8 एमएम की निकली। जबकि 10 से 12 एमएम का लगाया जाना है। पर विभाग के अफसरों की लापरवाही का ही नतीजा था कि यहां खुलेआम निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार कहती है कि हम किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे, गुणवत्ता हीन वाली बात ही नहीं आएगी, लेकिन उसी शासन प्रशासन के नाक के नीचे वन विभाग में अहाता निर्माण में इस तरह से धांधली की जा रही है जो कई सवाल खड़े कर रही है। वन विभाग के अधिकारी इस मामले में ठोस जवाब भी नहीं दे रहे हैं कि आखिर इसकी निगरानी क्यों नहीं हो रही है। सुरक्षा के लिहाज से अहाता तो बनाया जा रहा है लेकिन उसमें घटिया सामग्री खपा कर विभाग के अफसर और संबंधित ठेकेदार अपनी आर्थिक सुरक्षा को भी मजबूत कर रहे हैं। कहीं ना कहीं जिन्हें भी टेंडर मिला है जिसमें  बाउंड्री वॉल निर्माण की लागत राशि 7 लाख रुपये है उनके द्वारा पैसे बचाने के चक्कर में इस तरह से घटिया निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है। ब्लॉक मुख्यालय के भीतर चल रहे इस गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य से विभाग में घेरे में खड़ा है। वही सवाल यह उठता है कि क्या विभाग के अधीन होने वाले हर काम में इसी तरह की लापरवाही बरती जाती है या कोई निगरानी भी होती है कि नहीं?
सुरक्षा में सेंध  तो काहे का निर्माण
जब अहाता बनाया जा रहा है उसका उद्देश्य यही है कि वन परिसर सुरक्षित हो  असामाजिक तत्व या किसी तरह का दफ्तर को नुकसान ना हो लेकिन जब सुरक्षा में खुद से यहां के अधिकारी घटिया निर्माण को बढ़ावा देकर सेंध लगा रहे हैं तो बात ही क्या करेंगे? यह स्पष्ट हो रहा है कि निर्माण कार्य महज औपचारिक है। इसकी कोई निगरानी नहीं हो रही है। जिसके चलते  घटिया काम किया जा रहा है। सुरक्षा में सेंध का यही प्रमाण है कि जो ईट लग रही है वह घटिया क्वालिटी की है। जो रॉड  लग रहे हैं वह पतली है। जिस हिसाब से काम होना चाहिए जो गुणवत्ता का यहां ख्याल रखा जाना चाहिए उन्हें दरकिनार करके निर्माण किया जा रहा है। जो कई सवाल खड़े कर रही है।
कुरेदने से ही टूट रही है  ईंट,  रॉड तक हिलने लगी
जब हमने गुणवत्ता का नजरिया आंकलन करने का प्रयास किया तो पाया कि ईंट  को जब हम उन्हें पैरों से कुरेदने लगे तो वह कुछ पल में ही टूटने लगी। इतना ही नहीं जो रॉड वहां बांधा गया था वह भी हिल रही है। ऐसे में अहाता की मजबूती भला कैसे होगी? पतली रॉड से बनाया गया अहाता कभी भी भरभरा कर गिर सकता है और फिर दोबारा उसी अहाता को विभाग बनाकर सरकार के पैसों की बबार्दी करेगा। अगर मजबूती से काम होगा तो ऐसी नौबत नहीं आएगी। पर मजबूती से काम करवाने के लिए यहां निगरानी की कोई व्यवस्था ही नजर नहीं आ रही है और इसी का फायदा संबंधित ठेकेदार उठा रहे हैं और जहां बेधड़क गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य को अंजाम दे रहे हैं।

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