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बच्चों में भी हो सकते हैं टीबी के लक्षण- जिला क्षय रोग अधिकारी

बच्चे को दो हफ्ते से लगातार आए खांसी तो ना करें नजरअंदाज राजनांदगांव। बच्चों में टीबी (क्षय रोग) के लक्षण को जान पाना और उसका इलाज कर पाना ए...

बच्चे को दो हफ्ते से लगातार आए खांसी तो ना करें नजरअंदाज


राजनांदगांव। बच्चों में टीबी (क्षय रोग) के लक्षण को जान पाना और उसका इलाज कर पाना एक खास तरह का चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह बीमारी यदि बच्चों में हो जाए तो यह बड़ों से भी अधिक घातक हो जाती है क्योंकि बच्चों में वयस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.अल्पना लुनिया का। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया, बच्चों को जब कोई परेशानी होती है या जब वह बीमार होते हैं तो अक्सर वह अपनी समस्या सही से बता नहीं पाते हैं। इस कारण बच्चों में क्षय रोग का तुरंत पता भी नहीं चल पाता है। वहीं सामान्य बच्चों की तुलना में कुपोषित बच्चे जल्दी टीबी का शिकार हो जाते हैं। कुपोषित बच्चे जब टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो वह भी जल्द बीमार हो जाते हैं। ऐसे में यदि बच्चे को दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय से लगातार खांसी आती है तो जांच कराना आवश्यक है। टीबी के कीटाणु बच्चे के फेफड़ों से शरीर के अन्य अंगों में बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं। शुरूआत में बच्चों में हल्का बुखार बना रहता है।  डॉ.अल्पना लुनिया ने बताया, पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में भी टीबी के मामले सामने आते हैं। बच्चों में टीबी के लगभग 60 फीसदी मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं जबकि बाकी 40 फीसदी फेफड़ों के अतिरिक्त अन्य अंगों में होते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता है कि टीबी कहीं पर भी हो सकती है।वह कहती हैं, बच्चों में टीबी का आम प्रकार नकारात्मक पल्मोनैरी टीबी है। छोटे बच्चों में बलगम नहीं बनता है, ऐसे में जांच के लिए वे बलगम नहीं दे पाते हैं। ऐसी स्थिति में गैस्ट्रिक लवेज बच्चों में टीबी का पता लगाने के लिए दूसरा विकल्प है। कुपोषण, एचआईवी या खसरा से संक्रमित बच्चों में टीबी अधिक आम और गंभीर हो सकती  है। बच्चों में टीबी की उचित जांच और इलाज को लेकर लोगों को जागरूक होने की जरुरत है। ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि टीबी नाखून और बाल छोड़कर कहीं भी हो सकती है।
ऐसे करें बच्चों का टीबी से बचाव
-अपने बच्चे को गंभीर खांसी से पीड़ित लोगों से दूर रखें
-अपने शिशु को जरूरी टीके समय पर लगवाएं, जिसमें टीबी वैक्सीनेशन के लिए बीसीजी टीका शामिल होता है।
-टीबी के लक्षण दिखने पर तुंरत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं
-एंटी टीबी दवाइयों का कोर्स बच्चे को जरूर पूरा करवाएं

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