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इस आठ साल के हत्यारे को हत्या करने में आता था आनंद, ले ली तीन की जान

नई दिल्ली। दुनियाभर में ऐसे कई सीरियल किलर मशहूर हुए जिन्होंने न जाने कई लोगों के कत्ल कर दिए। इनमें से कुछ तो पकड़े गए, तो वहीं कई अब भी पु...


नई दिल्ली। दुनियाभर में ऐसे कई सीरियल किलर मशहूर हुए जिन्होंने न जाने कई लोगों के कत्ल कर दिए। इनमें से कुछ तो पकड़े गए, तो वहीं कई अब भी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे छोटे सीरियल किलर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने महज आठ साल की उम्र में तीन लोगों का कत्ल कर दिया। सबसे हैरान करने वाली बात, तो ये है कि उसने ये कत्ल सिर्फ मजे-मजे में कर दिए थे।
दरअसल, यह कहानी है बिहार के बेगूसराय की, जहां आठ साल के एक बच्चे को दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर या भारत का सबसे छोटा सीरियल किलर कहलाता है। वहीं कुछ लोग इस बच्चे को मिनी सीरियल किलर भी कहते हैं। उसने कुल तीन कत्ल किए थे और तीनों की ही उम्र एक साल से कम थी।
दुनिया के इस सबसे छोटे सीरियल किलर का नाम है मुकेश (बदला हुआ नाम)। उसका जन्म 1998 में बेगूसराय के एक गांव में हुआ था। उसके पिता मजदूरी का काम करते थे। घटना की शुरुआत 2007 से होती है, जब उसने पहला कत्ल अपने ही एक चचेरे भाई का किया था। इसके कुछ ही दिन बाद उसने दूसरा कत्ल अपनी सगी बहन का किया, जिसकी उम्र महज छह महीने थी। इन दोनों की हत्या उसने खपरैल से पीट-पीट कर की थी।
सबसे हैरानी की बात ये थी कि मुकेश (बदला हुआ नाम) द्वारा किए गए दोनों ही हत्याओं के बारे में उसके घरवालों को पता था, लेकिन उन्होंने मामले को नजरअंदाज कर दिया था। इसका नतीजा ये हुआ कि दो या तीन महीने बाद ही उसने एक और बच्ची का कत्ल किया, जिसकी उम्र भी एक साल से कम ही थी, लेकिन यह उसका आखिरी कत्ल बन गया, क्योंकि उसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
पुलिस ने जब मुकेश (बदला हुआ नाम) से उस गायब हुई बच्ची के बारे में पूछा तो वह हंसने लगा। पुलिस जितनी बार उससे पूछती, वह हंसता ही रहता। आखिरकार काफी देर के बाद उसने मुंह खोला और बताया कि उसने बच्ची को खपरैल से मार दिया। इसके बाद पुलिस ने पूछा कि उसकी लाश कहां है, तो वह उन्हें एक सुनसान खेत में ले गया, जहां से बच्ची की लाश बरामद की गई। अब पुलिस असमंजस में पड़ गई कि आखिर इतना छोटा बच्चा किसी का कत्ल कैसे कर सकता है और क्यों करेगा? इस बारे में उससे पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि उसे उन्हें मारने में मजा आता था। जब वो रोते थे तो उसे अच्छा लगता था। अब पुलिस को यह समझते देर न लगी कि यह मामला मानसिक बीमारी का हो सकता है।
मुकेश (बदला हुआ नाम) को डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां जांच के बाद पता चला कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी, उसे कंडक्ट डिसऑर्डर था। मनोविशेषज्ञों के मुताबिक, इस डिसऑर्डर में बच्चे काफी उदास-उदास से रहते हैं और उन्हें दूसरे लोगों को चोट पहुंचा कर खुशी मिलती है। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता कि उनके ऐसा करने से दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है। अब पुलिस भारी उलझन में पड़ गई, क्योंकि मुकेश ने तीन-तीन कत्ल किए थे, लेकिन वो अभी नाबालिग था और भारतीय कानून के हिसाब से नाबालिग को सजा नहीं मिलती है।
हालांकि, बाद में पुलिस ने अदालत से ये अपील की कि मुकेश (बदला हुआ नाम) को बाल सुधार गृह में एक अलग कमरे में रखा जाए। क्योंकि उसके साथ रहने से बाकी बच्चों को खतरा हो सकता है। अदालत ने अपील स्वीकार कर ली और मुकेश को अलग कमरे में रखा गया। कहते हैं कि कई साल के बाद उसे छोड़ दिया गया, लेकिन अब वो कहां है, किस नाम से अपनी जिंदगी गुजार रहा है, किसी को नहीं पता।

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