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चुनाव से पहले ममता को लग सकता है झटका: टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय छोड़ सकती हैं पार्टी

कोलकाता । बंगाल में चुनाव से पहले विधायकों सांसदों का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना जारी है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने  गढ़ बच...

कोलकाता । बंगाल में चुनाव से पहले विधायकों सांसदों का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना जारी है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने  गढ़ बचाने की चुनैती भी है। पश्चिम बंगाल में इस साल चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य में सियासी हलचलें काफी तेज हो चुकी हैं। ममता के सामने जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा यहां कमल खिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। हालांकि ममता बनर्जी की राह आसान नहीं है क्योंकि उनके कई नेता उनसे और पार्टी से नाराज हैं। कुछ पार्टी का साथ छोड़कर जा चुके हैं तो कुछ आने वाले


दिनों में पाला बदल सकते हैं। ऐसे में अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद शताब्दी रॉय ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पार्टी से अपनी नाराजगी को बयां किया है। अभिनेत्री से नेता बनीं रॉय ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, मुझसे लोग पूछ रहे हैं कि मैं पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिख रही हूं। मुझे अपने लोगों के साथ रहना पसंद है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो नहीं चाहते कि मैं आप सबके साथ रहूं। अक्सर मुझे कार्यक्रमों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है, मैं क्या कर सकती हूं? टीएमसी सांसद ने मतदाताओं के नाम संदेश में लिखा कि उन्हें पार्टी के कुछ लोगों द्वारा नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। शताब्दी रॉय फैन क्लब नाम के फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए गए पोस्ट में उन्होंने कहा कि अगर मैं कोई निर्णय लेती हूं तो मैं इसे 16 जनवरी को दो बजे घोषित करूंगी। मैं काम करने की पूरी कोशिश करती हूं, यहां तक कि दुश्मन भी इसे स्वीकार करते हैं। इसलिए इस नए साल में मैं एक निर्णय लेने की कोशिश में हूं, ताकि मैं आपके साथ पूरी तरह से रह सकूं।
कार्यक्रमों में क म नजर आ रही हैं सांसद
टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, बीरभूम की सांसद को 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जिले के पार्टी कार्यक्रमों में कभी-कभार ही देखा गया है। लोगों ने उन्हें आखिरी बार 28 दिसंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बीरभूम यात्रा के दौरान देखा था। मुख्यमंत्री ने रैली में रॉय को काफी महत्व दिया था और रैली में कई बार उनका नाम लिया था। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि रॉय के सत्तारूढ़ पार्टी के साथ लंबे समय से अच्छे रिश्ते नहीं हैं। वहीं स्थानीय नेता भी उनसे नाराज हैं।

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