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वो कानून नियम जिनका किसी भी महिला को पता होना बहुत जरूरी है

नई दिल्ली। महिला सशक्तिकरण का मुद्दा हमेशा से ही भारत में गरमाता रहा है। राजनीति की रोटियां सेकने के लिए अक्सर इस बहस को हवा दी जाती है। ले...


नई दिल्ली।
महिला सशक्तिकरण का मुद्दा हमेशा से ही भारत में गरमाता रहा है। राजनीति की रोटियां सेकने के लिए अक्सर इस बहस को हवा दी जाती है। लेकिन मौजूदा कानून व्यवस्था में कुछ नियम ऐसे हैं जो महिलाओं को इस समाज में बराबरी का हिस्सा देते हैं। आइए जानते हैं कि क्या हैं वो कानून नियम जिनका किसी भी महिला को पता होना बहुत जरूरी है....
* बाल विवाह- बाल विवाह रोकथाम अधिनियम,1929, के तहत उस शादी को अवैध माना जाता है जिसमें लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम हो। हालांकि यह कानून सिर्फ महिलाओं पर लागू नहीं होता। 21 वर्ष से कम के लड़के की शादी भी अवैध मानी जाती है।

* छेड़छाड़- भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और 509 के तहत कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अगर किसी भी उम्र की महिला के प्रति अभद्र टिप्पणी या ईशारा करता है तो उसे छेड़छाड़ माना जाएगा।

* अनुचित पुलिस प्रक्रिया- उच्च न्यायालय के निदेर्शानुसार हर पुलिस थाने मे एक महिला पुलिस अधिकारी का होना आवश्यक है जो कि हेड कांस्टेबल की रैंक से कम की न हो। किसी एक महिला अधिकारी का 24 घंटे थाने में मौजूद रहना अनिवार्य है। इसके अलावा किसी महिला की तलाशी कोई महिला अधिकारी ही ले सकती है और गिरफ्तारी के समय भी किसी महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है। किसी भी महिला की गिरफ्तारी सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के पश्चात नहीं की जा सकती। बेहद जरूरी होने पर इसके लिए मजिस्ट्रेट का आदेश लेना आवश्यक है।

* न्यूनतम मजदूरी- भारत सरकार के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के तहत हर पेशे के कुशल, अर्द्धकुशल एवं अकुशल मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय की गई है। दिल्ली मे कुशल मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 423 रुपए है, चाहे वह महिला हो या पुरुष।

* संपत्ति का उत्तराधिकार- हिन्दी उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत कोई भी व्यक्ति जो पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है वह संपत्ति हासिल करेगा, चाहे वह किसी भी लिंग का हो।

* दहेज- दहेज निषेध अधिनियम,1961 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो दहेज देता है या स्वीकार करता है या फिर दहेज की लेन देन में मदद करता है उसे 5 या इससे अधिक वर्ष की जेल के साथ 15,000 रुपए या दहेज की रकम के बराबर जुमार्ना चुकाना होगा।

* घरेलू हिंसा- घरेलू हिंसा आईपीसी की धारा 498 अ के तहत आता है। इस कानून के तहत परिवार का कोई भी सदस्य किसी अन्य सदस्य के द्वारा अपमानित किए जाने, क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने या क्रूरता की मंशा के साथ व्यवहार किए जाने पर शिकायत दर्ज करा सकता है। यह कानून महिला एवं पुरुष सदस्य पर समान रूप से लागू होता है।

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