Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

जब भाटापारा से गुजरी 300 डिब्बों वाली वासुकी तो खुली रह गईं लोगों की आंखें

भाटापारा।  भारतीय रेलवे के इतिहास में सम्भवत 22 जनवरी 2021 का दिन भी स्वर्णिम अक्षरो में दर्ज हो गया होगा जब 300 डिब्बों की 5 मालगाडिय़ों को...


भाटापारा।  भारतीय रेलवे के इतिहास में सम्भवत 22 जनवरी 2021 का दिन भी स्वर्णिम अक्षरो में दर्ज हो गया होगा जब 300 डिब्बों की 5 मालगाडिय़ों को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में एक साथ जोड़कर भिलाई से कोरबा के बीच चलाया गया। इस ट्रैन वासुकी को जिसने भी देखा उस ट्रैन की लम्बाई को देख उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं। 5 मालगाडिय़ों को जोड़कर एक साथ चलाये जाने पर रेलवे जोन सलाहकार समिति के सदस्य राजेश शर्मा ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए रेलवे के आला अधिकारियो के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए बधाई दी है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार आज रायपुर मंडल के भिलाई डी  केबिन से बिलासपुर मण्डल के कोरबा तक 5 मालगाडियों को एक साथ जोड़कर चलाया गया। इस मालगाड़ी की कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर के लगभग रही, इस ट्रेन का नाम वासुकी दिया गया है।  फ्रंट ट्रेनों के परिचालन समय को कम करने, क्रू-स्टाफ की बचत एवं उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने हेतु लगातार लॉन्ग हाल मालगाडिय़ों का परिचालन किया जा रहा है। नये कीर्तिमान स्थापित करते हुए 29 जून 2020 को तीन लोडेड मालगाडिय़ों को एक साथ जोड़कर लॉन्ग हॉल सुपर एनाकोंडा गाडी का परिचालन किया गया था। एस इ सी आर ने एक बार फिर इसी कडी को आगे बढ़ाते हुए 22 जनवरी 2021 को रायपुर रेल मंडल के भिलाई डी  केबिन से कोरबा तक पांच लॉन्ग हाल रैक (वासुकी) का परिचालन किया गया। इस मालगाड़ी में 300 वैगनो को जोड़कर इस लॉन्ग हाल रैक को चलाई गई। इस लॉन्ग हाल मालगाड़ी ने भिलाई दी केबिन से कोरबा स्टेशन तक का सफर लगभग 9 घंटे से भी कम समय में तय किया। भिलाई से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर रवाना हुई वासुकी ने 16 बजकर 26 मिनट पर भाटापारा रेलवे स्टेशन को पार किया और 17 बजकर 30 मिनट पर बिलासपुर होते हुए 21 बजकर 15 मिनट को कोरबा पहुंची। इतनी लम्बी ट्रैन को चलाने में  केवल 1 लोको पायलट, 1 सहायक लोको पायलट एवं 1 गार्ड की आवश्यकता पड़ी। जबकि सिंगल-सिंगल 5 रैक चलाने से 5 लोको पायलट, 5 सहायक लोको पायलट एवं 5 गार्ड की आवश्यकता होती।
सुपर शेष नाग  में 1 लोको पायलट, 1 सहायक लोको पायलट व 1 गार्ड द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
फोर्थ लॉन्ग हॉल रैक के परिचालन से क्रू-स्टाफ की बचत, रेलवे ट्रैक का सही इस्तेमाल तथा उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्राप्त होती है जो आज के दृश्टिकोण से सही और उचित भी है।भारतीय रेलवे के इतिहास के पन्नों में शायद 22 जनवरी 2021 का दिन भी दर्ज हो गया होगा की 5 मालगाडिय़ों की एक साथ जुडी पहली ट्रैन भिलाई से कोरबा के मध्य चली।रेलवे जोन सलाहकार समिति के सदस्य राजेश शर्मा ने वासुकी ट्रैन के सफल और सुरक्षित परिचालन के लिए बिलासपुर जोन और रायपुर डिवीजन के परिचालन विभाग के अधिकारीयो के प्रति प्रसन्नता जाहिर करते हुए धन्यवाद दिया है।
***

No comments