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शिक्षक युक्तियुक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता में हुआ सुधार

   कुदारीडीह प्राथमिक शाला में दिखा सकारात्मक बदलाव रायपुर।   शिक्षक और अभिभावक मिलकर शिक्षा को छात्रों की अभिरूचि के अनुसार हितकारक बनाता...

  

कुदारीडीह प्राथमिक शाला में दिखा सकारात्मक बदलाव

रायपुर।   शिक्षक और अभिभावक मिलकर शिक्षा को छात्रों की अभिरूचि के अनुसार हितकारक बनाता है ताकि सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु स्कूलों को जवाबदेह बनाया जा सके। स्कूलों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने शिक्षक युक्तियुक्तकरण अभियान चलाया गया है ताकि शिक्षा अधिक समावेशी, संवादात्मक और प्रभावी बन सके। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के स्कूल अब शिक्षा की गुणवत्ता के नए केंद्र बनते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर चल रहे शिक्षक युक्तियुक्तकरण अभियान ने सरगुजा जिले के मैनपाट के कुदारीडीह जैसे छोटे से गांव में शिक्षा की रूपरेखा पूरी तरह बदल रही है।
सरगुजा जिले के प्राथमिक शाला कुदारीडीह में इस शिक्षा सत्र में 85 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पहले शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित होती थी, लेकिन हाल ही में युक्तियुक्तकरण के तहत अतिरिक्त शिक्षक पदस्थापित किए जाने से विद्यालय का शैक्षणिक माहौल सजीव और व्यवस्थित हो गया है। अब विद्यालय में तीन शिक्षक बच्चों की शिक्षा के लिए उपलब्ध हैं। अब प्रत्येक कक्षा को अलग-अलग शिक्षक मिलने से बच्चों की पढ़ाई न सिर्फ नियमित बल्कि रुचिकर भी हो गई है। शिक्षक बच्चों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन दे पा रहे हैं, जिससे विद्यार्थी आत्मविश्वास से पढ़ाई कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के सीखने की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
विद्यालय के बदलते हालात से पूरा गांव उत्साहित है। पहले शिक्षक की कमी से जहां पढ़ाई अधूरी रह जाती थी, वहीं अब बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ गई है। ग्रामवासियों का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो रहा है और गांव में एक सकारात्मक शैक्षिक वातावरण बनेगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप शिक्षक-छात्र अनुपात सुनिश्चित करने की यह पहल न सिर्फ कागजों तक सीमित रही, बल्कि अब गांव-गांव तक वास्तविक बदलाव दिखा रही है। अब किसी भी ग्रामीण अंचल के बच्चे को संसाधनों की कमी से शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ रहा है।

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