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जिंदल स्टील छत्तीसगढ़ में लगाएगा 75,000 करोड़ का स्टील, थर्मल और सोलर संयंत्र

औद्योगिक विकास की नई इबारत, हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार रायपुर, 1 जुलाई।  छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इतिहास में सोमवार का दिन स्वर्ण अक्षरों...



औद्योगिक विकास की नई इबारत, हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार

रायपुर, 1 जुलाई। छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इतिहास में सोमवार का दिन स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया। राजधानी रायपुर में जिंदल स्टील छत्तीसगढ़ लिमिटेड और राज्य सरकार के बीच 75,000 करोड़ रुपये के निवेश वाले एक बड़े परियोजना हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत 7.5 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) क्षमता वाला स्टील प्लांट, 2400 मेगावाट क्षमता का थर्मल पावर प्लांट (3x800) और 500 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट राज्य में स्थापित किया जाएगा।

यह महत्वपूर्ण एमओयू मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव एवं राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के संयोजक श्री रजत कुमार, तथा जिंदल समूह की ओर से श्री प्रदीप टंडन सहित उद्योग जगत के कई प्रतिनिधि मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने जताया भरोसा

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने एमओयू के मौके पर कहा कि यह समझौता छत्तीसगढ़ को एक नई औद्योगिक दिशा देगा। इससे प्रदेश में रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा होंगी और राज्य की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।

“यह एमओयू सिर्फ निवेश का समझौता नहीं है, यह प्रदेश की तरक्की का दस्तावेज है। इससे हजारों युवाओं को सीधे और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। यह परियोजना छत्तीसगढ़ को औद्योगिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी,” — मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय

स्टील और ऊर्जा क्षेत्र में होगी बड़ी छलांग

इस परियोजना के तीन मुख्य भाग हैं:

  • 7.5 एमटीपीए स्टील प्लांट – जिससे छत्तीसगढ़ का नाम स्टील उत्पादन में अग्रणी राज्यों में और मजबूत होगा।
  • 2400 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट (3x800) – औद्योगिक और घरेलू बिजली जरूरतों की भरपाई करेगा।
  • 500 मेगावाट सोलर पावर प्लांट – पर्यावरणीय संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम।

जिंदल समूह की प्रतिबद्धता

समूह की ओर से श्री प्रदीप टंडन ने कहा कि छत्तीसगढ़ हमेशा से जिंदल समूह की प्राथमिकता रहा है। इस नई परियोजना से राज्य में स्टील उत्पादन को नई ऊंचाई मिलेगी और हजारों लोगों को रोज़गार मिलेगा।

“हम छत्तीसगढ़ की भूमि को सिर्फ निवेश स्थल नहीं, बल्कि अपना घर मानते हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ उत्पादन नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय के जीवन को बेहतर बनाना है,” — श्री प्रदीप टंडन, जिंदल स्टील

औद्योगिक निवेश से बदलेगा छत्तीसगढ़ का भविष्य

राज्य सरकार ने इस एमओयू को औद्योगिक दृष्टिकोण से ऐतिहासिक कदम करार दिया है। शासन का मानना है कि इतने बड़े निवेश से राज्य की जीडीपी, राजस्व, निर्यात और तकनीकी उन्नति में जबरदस्त उछाल आएगा।

इन जिलों में हो सकती है स्थापना

हालांकि कंपनी ने स्थान की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों के अनुसार स्टील प्लांट और थर्मल प्लांट रायगढ़ और कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में लगाए जाने की संभावना है, जबकि सोलर पावर यूनिट बलौदाबाजार या बस्तर क्षेत्र में लग सकती है। भूमि चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

रोजगार का बनेंगे नया आधार

परियोजना के पूर्ण रूप से शुरू होने के बाद प्रत्यक्ष रूप से 30,000 से अधिक रोजगार और अप्रत्यक्ष रूप से 60,000 से अधिक अवसर पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार, मजदूर, आपूर्ति एजेंसियों और सेवा प्रदाताओं को भी व्यापक लाभ मिलेगा।

ग्रीन एनर्जी की ओर मजबूत कदम

थर्मल पावर के साथ-साथ 500 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट की स्थापना राज्य को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी बनाएगी। यह पहल पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

कार्य जल्द शुरू होगा

राज्य सरकार ने कंपनी को हर आवश्यक सहायता देने का आश्वासन दिया है। परियोजना के लिए भूमि, बिजली, जल और परिवहन जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 2025-26 के अंत तक परियोजना का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है।


मुख्य बिंदु – एक नजर में

📌 परियोजना का नाम – जिंदल स्टील इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट
📌 निवेश राशि – ₹75,000 करोड़
📌 स्टील प्लांट क्षमता – 7.5 एमटीपीए
📌 थर्मल पावर प्लांट – 2400 मेगावाट (3x800)
📌 सोलर पावर प्लांट – 500 मेगावाट
📌 संभावित रोजगार – 90,000 से अधिक
📌 निर्माण कार्य प्रारंभ – 2025-26 तक संभावित


Aber news की टिप्पणी:
छत्तीसगढ़ में इतना बड़ा औद्योगिक निवेश राज्य के लिए वरदान साबित हो सकता है। यदि यह परियोजना समय पर पूर्ण होती है, तो छत्तीसगढ़ को देश का अगला औद्योगिक पावरहाउस बनने से कोई नहीं रोक सकता। राज्य सरकार और निजी क्षेत्र की इस भागीदारी को सही दिशा, ईमानदार क्रियान्वयन और जनहित की सोच के साथ जमीन पर उतारा जाए, तो यह परियोजना लाखों ज़िंदगियों में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

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