देहरादून । सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी बिल विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज मंगलवार को सदन के पटल में पेश कर दिया। बिल को पेश करने के ...
देहरादून
। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी बिल विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज
मंगलवार को सदन के पटल में पेश कर दिया। बिल को पेश करने के बाद ‘जय श्री
राम’, ‘भारत माता की जय’, और ‘वंदे मातरम्’ के नारों के सदन गूंज उठा था।
यूसीसी में बेटियों को वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार सुनिश्चित किए
जाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हिंदू-मुस्लिम सहित सभी धर्मों में
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी। हर धर्म की बेटियों को उनके
पिता की संपत्ति में अपने भाई की तरह बराबर का अधिकार मिलेगा। शादी का
रजिस्ट्रेशन कराने को अनिवार्य करने की बात कही गई है और रजिस्ट्रेशन के
बिना जरूरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसी के साथ ही बहु विवाह पर
रोक लगाने की पैरवी की गई है। पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करने
पर सजा का भी प्रावधान किया है।
मुस्लिम बेटियों को ज्यादा लाभ
हाईकोर्ट
के अधिवक्ता संदीप कोठारी ने बताया कि मुस्लिमों के अलावा अन्य धर्मों में
बेटियों को अधिकार दिए गए हैं। यदि यूसीसी में उत्तराधिकार कानून के तहत
बेटियों को एक समान रूप से अधिकार दिए जाने की बात की गई है, तो इससे सबसे
अधिक लाभ मुस्लिम बेटियों को होगा। अधिवक्ता आरएस राघव ने बताया कि बेटियां
अधिकार संपन्न होंगी। बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष आलोक घिल्डियाल ने
कहा कि इससे बेटी बेटे के बीच का भेद मिटेगा।
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार
समान
नागरिक संहिता में पुरुष, और महिलाओं को तलाक देने क समान अधिकार होगा।
पति-पत्नी रजामंदी के बाद दोनों एक-दूसरे को तलाक दे सकते हैं। तलाक के
बाद महिलाओं के दोबारा निकाह में कोई शर्त लागू नहीं होगी। उत्तराखंड में
यूसीसी लागू होने पर हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक समान कानून होगा।
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा
लिव-इन
रिलेशन में रहने वाले जोड़ों के लिए सख्त प्रावधान किया गया है। लिव-इन
रिलेशन को रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर जुर्माने के साथ ही 6 महीने की सजा का
भी प्रावधान किया गया है। लिव-इन में पैदा हुए बच्चों को संपत्ति में समान
अधिकार मिलने की पैरवी भी की गई है। पंजीकरण वाले युगल की सूचना
रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
यूसीसी में क्या नहीं बदलेगा?
धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं
धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं
ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं
सीएम धामी ने किया किया था चुनावी वादा
सीएम
पुष्कर सिंह धामी ने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड
में यूसीसी लागू करने का वादा किया था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए
उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद
भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद यूसीसी का मसौदा तैयार
करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी। 23 मार्च, 2022 को
दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद धामी ने मई माह में इसका ड्राफ्ट
तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की
अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की। इसमें सिक्किम
हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य
सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल,
समाजसेवी मनु गौड़ को शामिल किया गया।
यूसीसी ड्राफ्ट को बनाने के लिए जनसंवाद के 43 कार्यक्रम हुए
देश
के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए लोगों से
सुझाव लिए, इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रमों और वेब पोर्टल के जरिए
समिति के पास 2.32 लाख सुझाव प्राप्त हुए, जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत
परिवारों के बराबर है।
No comments