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‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और एसडीएम राजौरी गार्डन ने 38 बाल मजदूरों को छुड़ाया

दिल्‍ली। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने एसडीएम राजौरी गार्डन के नेतृत्‍व में संयु...


दिल्‍ली। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने एसडीएम राजौरी गार्डन के नेतृत्‍व में संयुक्‍त छापामार कार्रवाई के तहत कीर्तिनगर में चल रही 10 व्‍यावसायिक इकाइयों से 38 बाल श्रमिकों को मुक्‍त करवाया है। इस कार्रवाई में बचपन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ का सहयोगी संगठन बाल विकास धारा, स्‍थानीय पुलिस, श्रम विभाग और चाइल्‍ड लाइन के लोग भी शामिल रहे। ज्‍यादातर बच्‍चे फर्नीचर और कारपेंट्री के काम में लगे हुए थे। 
छापामार कार्रवाई में छुड़वाए गए सभी बच्‍चों की उम्र 14 से 17 साल है और सभी लड़के हैं। ये सभी उत्‍तर प्रदेश और बिहार के गरीब परिवारों से आते हैं। इन मासूमों से जबरन 12-12 घंटे तक काम करवाया जाता था और मजदूरी के नाम पर मुश्‍किल से 150 रुपए रोजाना दिए जाते थे। इनमें से कई बच्‍चे पिछले छह माह से काम कर रहे थे। 
एसडीएम राजौरी आशीष कुमार के आदेश दिए जाने के बाद पुलिस ने 14 इकाइयों को सील कर दिया है। साथ ही एसडीएम ने पुलिस को आदेश दिया है कि इस मामले में आरोपी निर्माण इकाइयों के मालिकों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट और चाइल्‍ड एंड एडोल्‍सेंट लेबर प्रॉहिबिशन एक्‍ट के तहत केस दर्ज किया जाए। मुक्‍त करवाए गए सभी बच्‍चों को मेडिकल करवाने के बाद चाइल्‍ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश किया गया, जहां से कमेटी के आदेश के बाद उन्‍हें चाइल्‍ड केयर इंस्‍टीट्यूशन भेज दिया गया। 
बाल मजदूरी की स्थिति पर चिंता जताते हुए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’  के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा, ‘बच्‍चों को बालश्रम और बाल शोषण से बचाने के कानून होने के बाद भी लोग बच्‍चों से मजदूरी करवा रहे हैं। यह बच्‍चों का शोषण है। चाइल्‍ड ट्रैफिकर्स बच्‍चों को दूसरे राज्‍यों से लाते हैं और फिर उन्‍हें बालश्रम में लगा देते हैं। यह बच्‍चों के प्रति एक गंभीर अपराध है। सरकार को चाहिए कि वह बच्‍चों को सुरक्षित करे। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को और भी ज्‍यादा सजग होकर काम करना होगा।’ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि चाइल्‍ड ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने के लिए वह जल्‍द से जल्‍द एंटी ट्रैफिकिंग बिल को संसद में पास करवाए।

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