Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE
Saturday, May 31

Pages

Classic Header

Top Ad

ब्रेकिंग :

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

आइए जानते है भगवान हनुमान जी की सवारी के बारे में

  नई दिल्ली। हम सब जानते है के हर भगवान की कोई न कोई सवारी होती है जैसे के भगवान गणेश जी की सवारी है चूहा और भगवान कार्तिके की सवारी है मोर...

 


नई दिल्ली।
हम सब जानते है के हर भगवान की कोई न कोई सवारी होती है जैसे के भगवान गणेश जी की सवारी है चूहा और भगवान कार्तिके की सवारी है मोर, लक्ष्मीजी उल्लू पर, विष्णुजी गरुढ़ पर, माता दुर्गा शेर पर सवारी करती है। हम सब ने भगवान हनुमान जी की ऐसी बहुत सी तस्वीरे देखि है जिनमे उन्हें हवा में दिखाया गया है। लेकिन आज तक यह बात कोई नहीं जनता के भगवान हनुमान जी की सवारी कौन है। आज हम आपको इससे ही जुड़ी कुछ रोचक जानकारी देने जा रहे है। तो आइए जानते है भगवान हनुमान जी की सवारी के बारे में :-

खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।
मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥ ८॥
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।
प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥ ९॥

हनुमानजी का वाहन : 'हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र' के 72वें श्लोक में उन्हें 'वायुवाहन:' कहा गया। मतलब यह कि उनका वाहन वायु है। वे वायु पर सवार होकर अति प्रबल वेग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करते हैं। हनुमान जी ने एक बार श्रीराम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाकर उड़ान भरा था। उसके बाद एक बार हनुमान जी ने बात-बात में द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लंका ले गए और उसी रात को यथास्थान रख आए थे।

भूतों की सवारी :- प्रचलित मान्यता और जनश्रुति के अनुसार यह कहा जाता है हनुमानजी भूतों की सवारी भी करते हैं।

हनुमानजी के अस्त्र और शस्त्र : हनुमानजी के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान उनकी गदा का है। कुबेर ने गदाघात से अप्रभावित होने का वर दिया है। हनुमान जी वज्रांग हैं। यम ने उन्हें अपने दंड से अभयदान दिया है। भगवान शंकर ने हनुमानजी को शूल एवं पाशुपत, त्रिशूल आदि अस्त्रों से अभय होने का वरदान दिया था। अस्त्र-शस्त्र के कर्ता विश्?वकर्मा ने हनुमान जी को समस्त आयुधों से अवध्य होने का वरदान दिया है।

उनके संपूर्ण अंग-प्रत्यंग, रद, मुष्ठि, नख, पूंछ, गदा एवं गिरि, पादप आदि प्रभु के अमंगलों का नाश करने के लिए एक दिव्यास्त्र के समान है। 1.खड्ग, 2.त्रिशूल, 3.खट्वांग, 4.पाश, 5.पर्वत, 6.अंकुश, 7.स्तम्भ, 8.मुष्टि, 9.गदा और 10.वृक्ष हैं।

हनुमानजी का बायां हाथ गदा से युक्त कहा गया है। 'वामहस्तगदायुक्तम्'. श्री लक्ष्मण और रावण के बीच युद्ध में हनुमान जी ने रावण के साथ युद्ध में गदा का प्रयोग किया था। उन्होंने गदा के प्रहार से ही रावण के रथ को खंडित किया था। स्कंदपुराण में हनुमानजी को वज्रायुध धारण करने वाला कहकर उनको नमस्कार किया गया है। उनके हाथ में वज्र सदा विराजमान रहता है। अशोक वाटिका में हनुमानजी ने राक्षसों के संहार के लिए वृक्ष की डाली का उपयोग किया था। हनुमानजी का एक अस्त्र उनकी पूंछ भी है। अपनी मुष्टिप्रहार से उन्होंने कई दुष्टों का संहार किया है।

No comments

जनसुविधाओं का ध्यान, समस्याओं का तत्परता से समाधान और गुणवत्...

नवा रायपुर का रिटेल कॉम्प्लेक्स : आधुनिक मनोरंजन और तकनीकी न...

हर जरूरतमंद के साथ खड़ी है सरकार : मुख्यमंत्री विष्णु देव सा...

मुख्यमंत्री साय का शिल्प नगरी कोंडागांव के शबरी एंपोरियम पहु...

भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी पर होगी कड़ी कार्यवाही: खाद्य मंत्...

लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने का प्रभावी माध्यम है सोशल...

अहिल्या वाहिनी महिला बाइक रैली, नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है ...

बस्तर के हर कोने तक पहुंचाएंगे विकास का उजाला: मुख्यमंत्री व...

नारी सशक्तीकरण और सुशासन की मिसाल है रानी अहिल्याबाई होल्कर ...

वोकल फॉर लोकल’ की भावना को देवरबीजा में मिला जीवन, खादी केंद...